Nios Deled course 510 Assignment 3 With Answer – विद्यार्थियों के संज्ञानात्मक , भावनात्मक , एवं कौशल्नात्मक पक्षों का आकलन शिक्षक के द्वारा जिन तकनीक और साधन के द्वारा होना चाहिए उनकी व्याख्या उपयुक्त उदाह्रानो सहित कीजिए |
इस लेख में Nios Deled course 510 Assignment 3 के उत्तर लाया हूँ इसे आप असाइनमेंट कॉपी में लिख सकतें हैं | इस प्रश्न का उत्तर स्वयं के ज्ञान एवं सोंच के आधार पर लिखा हूँ | अगर कोई गलतियाँ दिखे तो सुधार या बदलाव कर सकते हैं |
Nios Deled course 510 Assignment 3 With Answer
Nios Deled course 510 Assignment 3 के उत्तर |
Q. 1) विद्यार्थियों के संज्ञानात्मक , भावनात्मक , एवं कौशल्नात्मक पक्षों का आकलन शिक्षक के द्वारा जिन तकनीक और साधन के द्वारा होना चाहिए उनकी व्याख्या उपयुक्त उदाह्रानो सहित कीजिए |
उत्तर :- संज्ञानात्मक पक्ष सर यानि मानसिक विकास से संबंधित हैं , भावनात्मक पक्ष ह्रदय यानि भावनाओं के विकास से संबंधित हैं और कौश्लात्मक पक्ष हांथों यानि शरीरिक विकास से संबंधित हैं | इसीलिए प्रत्येक क्षेत्र के लिए मूल्यांकन तकनीके भी भिन्न हैं |
बौधात्मक क्षेत्र :- यह मुख्यत : पाठ्यक्रम संबंधित क्रियाकलापों पर केन्द्रित होता हैं | जिसे पेपर – पेन्सिल टेस्ट , मौखिक प्रश्नों द्वारा मूल्यांकित किया जा सकता हैं |
भावनात्मक क्षेत्र :- यह क्षेत्र भावनाओं , मनोवृतियों , रुचियों आदि से संबंधित होता हैं और इस क्षेत्र के उद्देश्यों के विकास में लम्बा समय लग सकता हैं | इस क्षेत्र में शिक्षार्थियों का मूल्यांकन करना शिक्षक के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य हैं | इसके लिए शिक्षक प्रोजेक्ट , सामूहिक चर्चा . वाद – विवाद आदि का प्रयोग कर सकते हैं | शिक्षक द्वारा भरमान का आयोजन किया जा सकता हैं और शिक्षार्थियों का मूल्यांकन आवलोकन द्वारा किया जा सकता हैं | शिक्षक अवलोकन तकनीक का प्रयोग करके भावनात्मक क्षेत्र का मूल्यांकन कर सकता हैं |
कौश्लात्मक क्षेत्र :- यह क्षेत्र पेशीय विकास से संबंधित हैं | इस क्षेत्र में शिक्षार्थियों का मूल्यांकन विज्ञानं शिक्षक का महत्वपूर्ण हैं | कौश्लात्मक क्षेत्र का मूल्यांकन करने के लिए प्रायोगिक परीक्षा एक अनिवार्य उपकरण हैं |
सही मूल्यांकन से शिक्षक को उसके द्वारा प्रदान किये गए शिक्षण अधिगम अनुभवों के बारे में सुचना मिलती हैं | यह शिक्षार्थियों व उनके अभिभावकों के कौशल विकास के बारे में जानकारी देता हैं | मूल्यांकन विद्यालय के पर्चार्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं | क्यूंकि इससे उसे विद्यालय में योजनाबद्ध किये गए क्रियाकलापों की उपयोगिता व प्रभावित के बारे में पता चलता हैं | बच्चो से यह भी कहा जा सकता है की वह अपने उन कामो का चयन करे जो उनकी नजर में सर्वोतम हैं | और यह भी बताये की उनका चयन क्यूँ किया | बच्चो को अतरिक्त और कोई भी है , जिससे बच्चे के आकलन में सूचनाये ली जा सकती हैं | बच्चो के विकास की दुसरे पहलुओ की पूरी तस्वीर स्पस्ट करने के लिए उन्हें भी आकलन की प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता हैं | वे कौन हो सकते हैं | अध्यापक और भी बहुत से व्यक्तियों से बातचीत कर उन्हें आकलन की प्रक्रिया में शामिल कर सकतें हैं |
एक शिक्षक के नाते आपके बच्चो के विचार , प्रक्रिया कौशल व उनकी मनोवृतियाँ का पता लगाकर ज्ञान के उनके दैनिक अनुभाव के साथ जोड़ना चाहिए | यही मूल्यांकन की सही रचना करने की मग करता हैं | पढ़ते समय समय आपने यह महसूस किया होगा की विद्यार्थियों का अवलोकन करके उन्हें सुनकर , उनके अभिभावकों , दोस्तों , और दुसरे अभिभावकों के साथ उनके बारे में चर्चा करके , उनके लिखित कार्य बच्चे द्वारा लिखे गए लेखो और उनके सवा आकलन के आधार पर बहुत कुछ समझा जा सकता हैं |
आकलन सिखने का होना या सिखने की प्रक्रिया का ? एक बार यह बात साफ हो जाने पर भूमिकाओ का निर्धारण आसानी से हो सकता हैं | अत: इसका फिक्स अपने जा रही प्रक्रिया पर ही रहता होगा | सिखने की प्रक्रिया में सिखानेवाले की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं | चूँकि सत् आकलन सिखने की प्रक्रिया का ही हिस्सा हैं | , अतएव सिखानेवाला इसे ज्यादा ठीक तरीके से अपडेट कर सकता हैं | अपनी बनायीं चीजे उनमे रख सकता हैं | उसे समय – समय पर देख सकता हैं | अपने लिए सुझाव पर अमल कर सकता हैं | पोर्टफोलियो से वह न की अपनी प्रगति से देख सकता हैं | अपने लिए सुझाव पर अमल कर सकता हैं |
विज्ञानं एक प्रायोगिक विषय है | और हमारे दैनिक जीवन में हर जगह प्रयोग होता हैं | तो शिक्षक को अपने शिक्षार्थियों से प्रायोगिक और प्रत्यक्ष अनुभव प्रयोग करने की आवश्यकता हैं | विकास के भिन्न – भिन्न क्षेत्रो की प्रगति और अधिगम के बारे में सूचनाएं और प्रमाण जुटाने के लिए आकलन का कोई भी एक उपकरण या विधि अपने आप में प्रयाप्त नही हैं | सिखने की प्रक्रिया में सिख्नेवाली की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं | क्यूंकि सत् आकलन सिखने की प्रक्रिया का ही हिस्सा हैं | अतएव सिखानेवाला इससे ज्यादा ठीक करके अपडेट करता हैं |
समुदाय में सही शिक्षा का मतलब फ़ैलाने में पोर्टफोलियो की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं | विशेषकर उन जगहों पर जहाँ अब भी बच्चे पर कड़े अनुशासन और रटने को ही शिक्षा समझा जाता हैं | बच्चो के अन्दर पनप रहे गुणों को लगातार देखते रहने से समाज में बच्चो और शिक्षा के प्रति नजरिया को बदला जा सकता हैं |
आपने देखा की विज्ञानं शिक्षा के विभिन्न पहलु जिनका विकास करने की आवश्यकता हैं | तीनो क्षेत्रो , बौधात्मक , भावात्मक और कौश्लात्मक का सही मूल्यांकन हैं | अत: शिक्षक को विशेष समझ होनी चाहिए की मूल्यांकन क्या हैं | और इसे प्रभावी ढंग से करने की क्या तरीके हैं | सही मूल्यांकन से शिक्षक को उनके द्वारा प्रदान किये गए शिक्षण अधिगम अनुभवों के बारे में जानकारी देता हैं | मूल्यांकन विद्यालय के पथ्चार्य के लिए भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि उससे उसके तैयार किये गए क्रियाकलापों की उपयोगिता व प्रभावित के बारे में पता चलता हैं | पाठ्यक्रम की योजना बनाने वाले , अनुसंधानकर्ता नियंत्रण करने वाले पदाधिकारी सबको मूल्यांकन का लाभ होता हैं |
इस सुचना को उस पाठ्यक्रम की प्रभावित व उसको लागु करने पर आनेवाली समस्याओं को लागु करने में प्रयोग कर सकते हैं | इस प्रकार वे पाठ्यक्रम में अधिक सुधार व बदलाव कर सकते हैं |
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