हिंदी भाषा की विकास यात्रा पर प्रकाश दीजिए ?

Last Updated on 5 महीना by Abhishek Kumar

 हिंदी भाषा की विकास यात्रा पर प्रकाश दीजिए? इस आर्टिकल में इग्नू असाइनमेंट के BHDAE-182 COURSE CODE के प्रश्नों का उत्तर लेकर आया हूं जो इस प्रकार है |

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 हिंदी भाषा की विकास यात्रा पर प्रकाश दीजिए?

संसार में बोली जाने वाली भाषाओं की निश्चित संख्या बता पाना संभव नहीं है। फिर भी यह अनुमान है कि विश्व में लगभग सात हजार भाषाएँ बोली जाती हैं। ध्वनि, व्याकरण तथा शब्द-समूह के आधार पर भौगोलिक दृष्टि से इन भाषाओं का वर्गीकरण पारिवारिक संबंधों के अनुसार किया गया है।

इस वर्गीकरण में भारोपीय भाषा-परिवार बोलने वालों की संख्या, क्षेत्रफल और साहित्यिकता की दृष्टि से सबसे बड़ा परिवार है और यह भारत से यूरोप तक फैला हुआ है। भारोपीय परिवार की दस शाखाएँ मानी गई है, जिनमें एक है भारत-ईरानी शाखा।

भारत-ईरानी शाखा की भारतीय आर्यभाषा, ईरानी और दरदी उपशाखाएं हैं। भारतीय-आर्य भाषाओं को काल की दृष्टि से तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है |

प्राचीन भारतीय आर्य-भाषाएँ (1500 ई.पू. तक)- संस्कृत आदि (2) मध्य भारतीय आर्य- भाषाएँ (500 ई.पू. से 1000 ई. तक) – पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि और (3) आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ (1000 ई. से आज तक) – हिन्दी, बंगाली, मराठी आदि। आधुनिक भारतीय-आर्य भाषाओं में हिन्दी भी एक मुख्य भाषा है। इसके विकास के इतिहास को भी तीन मुख्य कालों में बाँटा जा सकता है |

आदि काल (1000 ई. से 1500 ई. तक) : इस काल में अपभ्रंश तथा प्राकृत का प्रभाव हिन्दी पर था और उस समय हिन्दी का स्वरूप निश्चित रूप से स्पष्ट नहीं हो पाया था। इस काल में मुख्य रूप से हिन्दी की वही ध्वनियाँ (अर्थात् स्वर एवं व्यंजन) मिलती हैं जो अपभ्रंश में प्रयुक्त होती थीं। कुछ ध्वनियों का अलग से आगम हुआ है – जैसे – अपभ्रंश में ‘ड’ और ‘ढ’ व्यंजन नहीं थे |

आधुनिक काल (800 ई. से अब तक) : साहित्य के क्षेत्र में खड़ीबोली का व्यापक प्रचार होने के कारण हिन्दी की अन्य बोलियाँ लगभग दब गईं | यह बात अलग है कि अपने-अपने प्रदेशों में इनका प्रयोग अब भी जारी है लेकिन उन पर भी खड़ीबोली का प्रभाव है। इसके अतिरिक्त अंग्रेजी के प्रभाव के कारण अरबी-फारसी की ‘क’, ख़’, और ” ध्वनियों का प्रयोग बहुत कम हो गया है लेकिन ‘ज’ एवं ‘फु’ का प्रयोग और अधिक बढ़ गया है।

अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार सं शिक्षित वर्ग में ‘ऑ’ ध्वनि का आगम हुआ है; जैसे _ डॉक्टर, कॉलिज, ऑफिस।

इस काल में हिन्दी पूर्णतया वियोगात्मक भाषा बन गई है। इसके व्याकरण का मानक रूप काफी सुनिश्चित हो गया है। हिन्दी जहाँ संस्कृत के अतिरिक्त अरबी-फारसी से काफी प्रभावित रही है, वहाँ प्रेस, रेडियो और सरकारी काम-काज में अंग्रेजी का अत्यधिक प्रयोग होने के कारण हिन्दी की वाक्य रचना और मुहावरे-लोकोक्तियों में अंग्रेजी का बहुत प्रभाव पड़ा है।

स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद हिन्दी को सरकारी काम-काज की राजभाषा बनाने तथा विज्ञान, वाणिज्य आदि में प्रयोजनमूलक कार्य करने के कारण इसकी पारिभाषिक शब्दावली में अत्यधिक वृद्धि हुई है और अभी भी हो रही है। इस प्रकार शब्द-संपदा के समृद्ध होने से हिन्दी अपनी अभिव्यक्ति में अधिक समर्थ और गहरी होती जा रही है।

हिन्दी शब्द का उद्भव संस्कृत शब्द ‘सिंधु’ से माना गया है। यह सिंघु नदी के आस- पास की भूमि का नाम है। ईरानी ‘स’ का उच्चारण प्राय: ‘ह’ होता है, इसलिए ‘सिंधु’ का रूप हिन्दू’ हो गया और बाद में ‘हिन्द’ हो गया। इसका अर्थ हुआ ‘सिंध प्रदेश’। बाद में ‘हिन्द’ शब्द पूरे भारत के लिए प्रयुक्त होने लगा। इसमें ईरानी का ‘इक’ प्रत्यय लगने से ‘हिन्दीक’ शब्द बना, जिसका अभिप्राय है ‘हिन्दू का’। कहा जाता है कि इसी ‘हिन्दी .. जी से (3388 गे ‘इंदिका’ और वहीं से अंग्रेजी’ शब्द ‘इंडिया’ बना है।

आधुनिक काल (800 ई. से अब तक) : साहित्य के क्षेत्र में खड़ीबोली का व्यापक प्रचार होने के कारण हिन्दी की अन्य बोलियाँ लगभग दब गईं | यह बात अलग है कि अपने-अपने प्रदेशों में इनका प्रयोग अब भी जारी है लेकिन उन पर भी खड़ीबोली का प्रभाव है। इसके अतिरिक्त अंग्रेजी के प्रभाव के कारण अरबी-फारसी की ‘क’, ख़’, और ” ध्वनियों का प्रयोग बहुत कम हो गया है लेकिन ‘ज’ एवं ‘फु’ का प्रयोग और अधिक बढ़ गया है। अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार सं शिक्षित वर्ग में ‘ऑ’ ध्वनि का आगम हुआ है; जैसे _ डॉक्टर, कॉलिज, ऑफिस। इस काल में हिन्दी पूर्णतया वियोगात्मक भाषा बन गई है।

इसके व्याकरण का मानक रूप काफी सुनिश्चित हो गया है। हिन्दी जहाँ संस्कृत के अतिरिक्त अरबी-फारसी से काफी प्रभावित रही है, वहाँ प्रेस, रेडियो और सरकारी काम-काज में अंग्रेजी का अत्यधिक प्रयोग होने के कारण हिन्दी की वाक्य-रचना और मुहावरे-लोकोक्तियों में अंग्रेजी का बहुत प्रभाव पड़ा है।

स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद हिन्दी को सरकारी काम-काज की राजभाषा बनाने तथा विज्ञान, वाणिज्य आदि में प्रयोजनमूलक कार्य करने के कारण इसकी पारिभाषिक शब्दावली में अत्यधिक वृद्धि हुई है और अभी भी हो रही है। इस प्रकार शब्द-संपदा के समृद्ध होने से हिन्दी अपनी अभिव्यक्ति में अधिक समर्थ और गहरी होती जा रही है। हिन्दी शब्द का उद्भव संस्कृत शब्द ‘सिंधु’ से माना गया है। यह सिंघु नदी के आस- पास की भूमि का नाम है। ईरानी ‘स’ का उच्चारण प्राय: ‘ह’ होता है, इसलिए ‘सिंधु’ का रूप हिन्दू’ हो गया और बाद में ‘हिन्द’ हो गया। इसका अर्थ हुआ ‘सिंध प्रदेश’। बाद में ‘हिन्द’ शब्द पूरे भारत के लिए प्रयुक्त होने लगा।

इसमें ईरानी का ‘इक’ प्रत्यय लगने से ‘हिन्दीक’ शब्द बना, जिसका अभिप्राय है ‘हिन्दू का’। कहा जाता है कि इसी ‘हिन्दी  जी से (3388 गे ‘इंदिका’ और वहीं से अंग्रेजी’ शब्द ‘इंडिया’ बना है।

विद्वानों के मतानुसार भारत में ‘हिन्दी’ शब्द का प्रयोग म्था 52% 238 | था > जुज्बे चंद नज़मे हिन्दी नौ नजेदोस्ता करदा शुर्दा अर नदी, की आप कोश में इसका प्रयोग कई बार हुआ है। यह भी उल्लेखनीय है अपेक्षा ‘हिन्दवी’ शब्द अधिक प्राचीन है। हिन्दी, हिन्दवी शब्द का प्रयोग अमीर खुसरो ने भी कई स्थलों पर किया है। एक स्थान पर वे कहते हैं – तुर्क हिन्दुस्तानिम मन हिन्दवी गोयम जवाब’ अर्थात्‌ ‘हिन्दुस्तानी तुर्क हूँ, हिन्दवी में जवाब देता हूँ। यह भी तर्क दिया जाता है कि हिन्दी शब्द का प्रयोग पहले भारतीय मुसलमानों के लिए होता था और ‘हिंदी शब्द मध्यदेशीय भाषा के संदर्भ में। यह ‘हिन्दवी’ शब्द वस्तुतः हिन्दवी या हिन्दुई है।

कुछ विद्वान इसे हिन्दुओं की भाषा भी कहते हैं – (हिन्दू + ई अर्थात्‌ हिन्दुओं की भाषा) बाद

में यह हिन्दवी शब्द हिन्दी भाषा के लिए प्रयुक्त होने लगा। इस दृष्टि से ‘हिन्दवी’ शब्द पुराना है और ‘हिन्दी’ अपेक्षाकृत बाद का | तुलसी के ‘फारसी पंचनामे’, जटमल की “गोरा बादल की कथा’ तथा इंशा अल्ला खां की ‘रानी केतकी की कहानी” में भी केवल हिन्दवी शब्द समानार्थी हो गए।


 हिंदी भाषा की विकास यात्रा पर प्रकाश दीजिए (hindi bhasha ki vikas yatra par prakash daliye)

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