Nios Bridge course 522 Assignment 1 Question 3 With Answer

Nios Bridge course 522 Assignment 1 Question 3 With Answer बाल अधिकारों की क्या आवश्यकता है ? इस सन्दर्भ में भारत में विभिन्न नीतियों और विधानों का वर्णन कीजिये

इस पोस्ट में pdpet कोर्स 522 का असाइनमेंट 1 के तीसरा प्रश्न का उत्तर लाया हूँ इसे आप असाइनमेंट कॉपी में wright कर सकते है |

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Nios Bridge course 522 Assignment 1 Question 3 With Answer

Q.3 ) बाल अधिकारों की क्या आवश्यकता है ? इस सन्दर्भ में भारत में विभिन्न नीतियों और विधानों का वर्णन कीजिये

Nios Bridge course 522 Assignment 1 Question 3 With Answer

उत्तर :- बच्चे राष्ट्र का भविष्य है यह सुनते हुए ही हम बड़े हुए है  |साथ ही वे अतिसंवेदनशील और छाप छोड़ने वाले है |

बचपन के अनुभव पुरे जीवन काल तक विद्यमान रहता है | एक प्रारंभिक विद्यालय के शिक्षक के रूप में आपके लिए बाल अधिकारों संबंधी मुद्दों को जानना बहुत महत्वपूर्ण है |

बाल अधिकारों की आवश्यकता

18 वर्ष से कम उम्र के सभी व्यक्ति , जबतक की नियमानुसार पहले ही युवाव्यस्था प्राप्त हो गई हो हमारे देश में परम्परिक रूप से बच्चो की देखभाल तथा सुरक्षा की जिम्मेदारी अभिभावकों पर होती है | भारतीय समाज में बच्चे कल्याणकारी साधनों के प्राप्तकर्ता होते है | बच्चो के देखभाल का यह आवश्यकता आधारित उपागम है न अधिकार आधारित उपागम

  • 6 से 14 वर्ष के बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा
  • 14 वर्ष के आयु से कम के बच्चे को किसी भी कारखाने खदान या एनी खतरनाक व्यवसाय में लगाने पर खतरनाक
  • राज्य के किसी भी नागरिक के विरुद्ध मात्र धर्म , प्रजाति , जाती , लिंग , तथा जन्म स्थान तथा इसमे से किसी एक के आधार पर भेदभाव नही करेगा |

बाल अधिकार के लिए भारत में विभिन्न नीतियाँ

  • बच्चो के लिए राष्ट्रिय निति 2013

बच्चो के लिए राष्ट्रिय निति २०१३ , सभी बच्चो की उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों में तथा राष्ट्रिय सम्पति के रूप में उनके बचाव , सुधना देना शामिल करना सहायता देना तथा शशक्तिकरण हेतु भारत की प्रतिबद्धता की पुन्वृति करती है |

  • राष्ट्रिय शिक्षा निति 1986

यह निति भारत के ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रो में शिक्षा के प्रारंभिक ततः महाविद्यालय स्तर को समाहित करती है | प्रारंभिक शिक्षा के स्तर के सन्दर्भ में यह तिन पहलुओं पर बल देती है |     

  1. सार्वभौमिक बहुच और नामांकन
  2. बच्चो का 14 वर्ष के आयु तक विद्यालय में बने रहना |
  3. सभी बच्चो में संप्राप्ति की योग्यता हेतु शिक्षा की गुणवता में ठोस सुधार
  4. बाल मजदूरी पर राष्ट्रिय निति 1987

१९८७ में भारत ने बाल मजदूरी पर एक राष्ट्रिय निति की चर्चा की | इस निति का उद्देश्य – वे बच्चे जो जोखिल भरे व्यवसायों में कार्यरत है | बाल मजदूरी पर भारतीय कानूनों को सख्ती से लागु करने पर यह निति गहरी दृष्टि रखती ह ई | बाल मजदूरी के मूल्य कारणों जैसे गरीबी को दूर करने जैसे विकास कार्यकर्मो को कानून लागु करने के साथ जोड़ा गया |

  • राष्ट्रिय घोषणा निति 1993

राष्ट्रिय घोषणा निति 1993 भारत में पोषण के स्तर तथा इसके अभिलेख के महत्व को दर्शाती है | सन १९९३ में  पहले से ही कुपोषण तथा निम्न पोषण के समस्या को दूर करने के लिए कई कार्यक्रम चल रहें है | जैसे समेकित बाल विकास योजनाये विशेष पोषण कार्यक्रम तथा गेंहू आधारित कार्यक्रम आदि | पूरी जनसँख्या के उपयुक्त पोषण को सुनिश्चित करने हेतु इस तीती में कुछ प्रावधान किये गए है |

इस निति के अनुभाग सीधे लघु अवधि सेवाएँ के अंतर्गत भारत की वास्तविक बाल जनसँख्या हेतु आई.सी.डी.एस तथा इसी प्रकार के कार्यकर्मो के विस्तार पर बाल दिया गया है |

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  • स्वास्थ्य पर राष्ट्रिय निति 2002

राष्ट्रिय स्वास्थ्य निति १९९३ में भारत की संसद ने अनुमोदित किया तथा वर्ष २००२ में इसको संशोधित किया गया | और वह 0-18 वर्ष के बच्चे पर लागु होती है |

  • बच्चो के लिए राष्ट्रिय चार्टर 2004

बच्चो के लिए राष्ट्रिय चार्टर 2002 के लिए मुख्य उद्देश्य है |

-) प्रत्येक बच्चे के लिए खुश व स्वास्थ्य बचपन सुनिश्चित करता है |

-) उन मूल कारणों का निवारण जो बच्चो की स्वास्थ्य बृद्धि व विकास में रुकावट है |

-) बच्चो के सभी प्रकार के शोषण से बचने के लिए विस्तृत सामाजिक सन्दर्भ में समुदाय को जागरूक करना |

-) परिवार , समाज व राष्ट्र को सुदृढ़ बनान |

-) जीवन रहना , जीवन और स्वतंत्रता

-) बच्चो को अनुकूल कार्य विधिय सुनिश्चित करना |

बाल अशिकर से संबंधित राष्ट्रिय विधान

(i). प्रसव पूर्व निदानकारी तकनीकें (दुरुपयोग का विनियमन तथा बचाव ) अधिनियम 1994

यह अधिनियम जनन तथा चायपचय संबंधी अनियमितताओं , गुण सूत्रों की असमानताएं , कुछ जन्मजात कुराचनाओं के बन्ने या लिंग संबंधी असामान्यताओं का पता लगाने हेतु प्रसव – पूर्व निदानकारी तकनीको के उपयोग को निनियमित करने  हेतु बनाया गया है |

(ii). किशोर – न्याय (बच्चो की देखभाल व सुरक्षा ) एक्ट अधिनियम 2000

किशोर न्याय 2000 एक्ट एक व्यापक विधान है | जो उन बच्चो , जो की कानूनी संघर्ष में है | उन्हें देखभाल व सुरक्षा की आवश्यकता है | उनके सर्वोतम हित को ध्यान में रखकर विभिन्न विषयो तथा निर्णयों में बच्चो के अनुकूल उपागम को अपनाकर , उनकी विकाशात्मक श्यकताओं की आपूर्ति द्वारा , बच्चो की उचित देखभाल सुरक्षा तथा उपचार प्रदान करता है |

(iii). बाल मजदूरी (निषेध और विनियिम ) अधिनियम 1986

इस अधिनियम का निर्माण बाल मजदूरी को समाप्त करने तथा 14 वर्ष के कम उम्र वाले बच्चे को विभिन्न खतरनाक व्यवसायों एवं कार्यो में नियुक्त करने के लिए सजा व दंड देने के लिए किया गया | यह अधिनियम राज्य सरकारों को बच्चो को स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के सन्दर्भ में नियम बनाने का अधिकार प्रदान करता है |

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