pdpet course 522 Assignment 1 Question 1 with answer

pdpet course 522 Assignment 1 Question 1 with answer बच्चा और बचपन” की अवधारणा क्या है ? बच्चो को उनके बचपन में कौन – कौन सी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है ? चर्चा कीजिये

इस पोस्ट में pdpet course 522 का असाइनमेंट 1 के पहले प्रश्न का उत्तर लाया हूँ इसे आप असाइनमेंट कॉपी में लिख सकते है | इस ओरष्ण का उत्तर nios के Bridge कोर्स गाइड अनुसार लिखा हूँ | अगर कोई गलतियाँ दिखे तो सुधार या बदलाव कर सकते हैं |

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pdpet course 522 Assignment 1 Question 1 with answer

pdpet course 522

Q.) बच्चा और बचपन” की अवधारणा क्या है ? बच्चो को उनके बचपन में कौन – कौन सी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है ? चर्चा कीजिये

उत्तर :- जैविक परिभाषा के अनुसार जन्म से लेकर किशोर अवस्था के बिच के जो अवस्था होती है वह बल अवस्था कहलाती है | अगर हम भारत के विभिन्न परम्परा के अनुसार देखें तो पाते है तो बल्व्स्था 6 वर्ष के आयु से प्रारंभ होकर 16 वर्ष तक मानी जाती है | जिसमे बालको की आधारभुत मूल्यों एवं कौशलो को आधार शिला राखी जाती है |

उच्च आर्थिक सामाजिक स्थिति वाले माता पिता अपने बालको की देखरेख अपने जिम्मेदारी अपने घर की बड़ी संतान को देते है | परिणाम स्वरुप ऐसे बालक , बाल्यावस्था के आनंद एवं शिक्षा दोनों से ही वंचित रह जाते है |

बाल्यावस्था के समस्याएं

मनोवैज्ञानिक

बालको के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान होता है | जहाँ वे न केवल स्वयं  के बल्कि आसपास के दुनिया से भी परिचित होते है |

1). दुष्चिन्ता विकार

बालावस्था में बालक इस विकार से ग्रसित हो जाते है | इस विकासर से ग्रस्त बालको में बेचैनी होना तथा भय के भावना पाई जाती है | जो कुछ माह से समय से लेकर काफी लम्बी अवधि तक रह सकती है | इस विकासर से बालक का जीवन भी प्रभावित होता है | उसके व्यवहार में कुछ परिवर्तन भी देखने को मिलते है |

2). अधिगम विकार

बाल्यावस्था में बालको  के अधिगम संबंधी समस्याएं भी हो सकती है | इस अवस्था में साथी समूह के बालको की तुलना में कुछ बालको को पढने में कठिनाई अनुभव होती है | कुछ बालको के       लिए बढ़ना सरल होता है | तो कुछ बालक द्रव्य प्रदर्शन के लिए सिख पाते है | कुछ बालको को लिखने में समस्या होती है |

3). चारित्रिक विकार

इस विकार से ग्रसित बालक अपेक्षित व्यवहार से विपरीत व्यवहार करते है | जैसे :- घर से भाग जाना , चोरी करना , किसी व्यक्ति  या पशु या साथी या भाई – बहिन को कोई नुक्सान पहुचना | चिडचिडापन होना , क्रोध करना , शिक्षक या अभिभावक से बहस करना , उसकी आज्ञा का अवहेलना करना |

4.) खान – पान संबंधी विकार

इस विकार से ग्रसित बालक अपनी उम्र के बक्लको से कम वजन के होते है | ये बालक पतले होने पर भी यही महसूस करते है की वे मोटे है | और अपने इस वहम के कारण वे खाना पीना बंद कर देते है | फलस्वरूप वे कुपोषण के शिकार हो जाते है |

5.) मादक दर्व्यो के सेवन की समस्या

बाल्यावस्था में ही कुछ बालको को मादक द्रव्य की लत हो जाती है | ऐसे बालक घर में घर में अकेले रहना पसंद करते है | घर में अपने कमरे का दरवाजा बंद करके बंद करके रहना पसंद करते है | ताकि ये गलत काम चोरी छुपे  कर सके | ऐसे बालक माता पिता के जेब खर्च के नाम पर अनावश्यक पैसे का मांग करते है  |

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सांस्कृतिक सामाजिक

ये बालक भी किसी न किसी समाज में जन्म लेता है | अत: उस समाज एवं समाज की संस्कृति बालक के व्यवहार एवं व्यक्तित्व पर घर प्रभाव पड़ता है  |

1). उपेक्षित वर्ग

इस वर्ग में बालक आते है | जो सामाजिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक रूप से पिछड़े होते है | अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के बालक , विकलांग बालक , बालिकाएं आदि | ऐसे बालक प्राय गरीब और वंचित परिवार से आते है  | अत : इन बालको की स्कूल एवं शिक्षक के प्रति मनोवृति नकारात्मक होती है | ऐसे बालक अनौपचारिक भाषा का प्रयोग करते है |

2.) लिंग दृष्टिकोण

हमारे समाज में बालक और बालक में भेद करना एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक निरंतर चला आ रहा है | यद्धपि भारतीय संबिधान में पुरुष और स्त्री को सामान अधिकार दिए गए है | फिर भी भारतीय सन्ज में लीग भेद विद्यमान है | भारतीय समाज में बालको को बालिकाओ के तुलना में हर क्षेत्र में प्राथमिकता दी जाती है | परिवार में बालक का जन्म होने पर खुशियाँ मनाई जाती है | वही बालिका के जन्म होने पर उसको बोझ समझा जाता है | भारत सरकार द्वारा लिंग निर्धारण को प्रतिबन्ध कर दिया गया है तथा ऐसा करना कानूनी अधिकार है |

3.) प्रथम पीढ़ी बालक

प्रथम पीढ़ी बालक क्यूंकि अपने परिवार से स्कूल जानेवाला पहला सदस्य होता है | अत: इन बालको को स्कूल के बारे में जरा भी जानकारी नही होती है | जैसे स्कूल  के विभिन्न स्रोत कौन – कौन से है | स्कूल का वातावरण कैसा होगा | स्कूल की तथा शिक्षको की उनसे क्या उपेक्षाएं होगी | इस ज्ञान के अभाव के कारण बालक स्कूल के शैक्षिक तथा सामाजिक लाभ पूरी तरह से नही ले पता है |

इन बालको को अपराध बोध रहता है की उनके परिवार के एनी सदस्य शिक्षा नही प्राप्त कर सके ऐसे बालक पढाई बिच में छोड़कर घर वापस जाना चाहते है |

4.) विकलांगता

इस श्रेणी में प्राय मानसिक रूप से मंद बालक , दृष्टि दोष से ग्रसित बालक भाषा दोष से ग्रसित बालक श्रवन दोष से संबंधित बालक आते है | ऐसे बालको में एक अनुपयुक्त आत्म्संप्रत्याय विकसित हो जाता है | जिसके कारण उनके व्यक्तित्व का विकास अवरुद्ध हो जाता है | साथियों के द्वारा मजाक उडाये जाने के कारण ऐसे बालक हिन् भावना से ग्रसित हो जाते है |

मानसिक रूप में मंद बालको में शरीरिक कद सामान्य बालको की तुलना में भिन्न होता है | सामान्य बालको की तुलना में बौद्धिक क्षमता कम होती है | ऐसे बालक समाज एवं परिवार के लोगो के साथ समजोजन नही कर पाते है |

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