Deled course 502 assignment

Deled course 502 assignment 1 question 1 with answer

Last Updated on 4 वर्ष by Abhishek Kumar

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इस लेख में अवलोक्नाम्तक अधिगम के चार प्रक्रिया के बारे में असाइनमेंट  1 के पहला प्रश्न का उत्तर जानेंगे |

पिछले पोस्ट में हमने कोर्स 501 का पूरा question का answer पब्लिश कर दिया है |
अगर आपने अभी तक उसका answer नही जानते है तो इस पोस्ट में लिंक
add कर दिया जायेगा | आप link पर क्लिक करके पढ़ व लिख सकते है |

Deled course 502 assignment

इस पोस्ट में Deled course 502 assignment 1 का पहला उत्तर लिख रहा हूँ | जो आपके   लिए हेल्पफुल हो सकता है |
याद रहे इसे हमने डी.एल.एड के पीडीऍफ़ फाइल से और खुद के सोंचने व ज्ञान के द्वारा लिखा हूँ | हो सकता    है |
आप कुछ और सोचते हो | अगर आपको लगता है | की question के उत्तर में कुछ बदलाव करन चाहिए |
तो कर सकते है | या खुद से लिखकर असाइनमेंट बना सकते    है |

⇒ Deled course 502 assignment 1 question 2 with answer

Deled course 502 assignment 1

Q. 1 ) अवलोक्नाम्तक अधिगम की चारों प्रक्रियाओ की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए
अवलोकनीय अधिगम में अनुकरण किस प्रकार सहायक है |
उत्तर :-  हम जानते है | अधिगम बच्चे या मानव की सोचने और समझने का एक महत्वपूर्ण शब्द है | अवलोकन से अधिगम मानव अधिगम की सामान्य और प्राकृतिक विधि है | अवलोक्नाम्तक अधिगम को अनेक नाम से जाना जाता है | जैसे – सामाजिक अधिगम आदर्शात्मक अधिगम , स्थानापन अधिगम | अवलोक्नाम्त्क अधिगम बच्चो के लिए एक महत्वपूर्ण अधिगम विधि है | जो दूसरो के द्वारा किये गए व्यवहार देखने अपनाने व परखने से ग्रहण किया जाता है | जब बच्चा मौलिक क्रिया कलाप में होता है | जैसे भाषा और प्राकृतिक सिधान्तो को ग्रहण करता है | लेकिन यह अनुकरण से अलग है |
अवलोक्नाम्त्क अधिगम की चार क्रियाये इस प्रकार है |
1.  ध्यान प्रक्रिया :- हम जानते है जब कोई बच्चा सिखने के लिए किसी विन्दु पर ध्यान देता है | या यूँ कहे की आदर्श की पुरे व्यवहार की नक़ल नही करते , बल्कि केवल व्यवहार के पहलुओ पर ध्यानं केन्द्रित करते है | जो सिखाने में हमे अच्चा लगता है | हम व्यवहार के उन्ही महत्वपूर्ण लक्षणों की ओर ध्यान देते है | जो हम सीखना चाहते है |
उदाहरण :  एक बच्चा अच्चा सुलेख लिखने के लिए अध्यापक / शिक्षाक को ध्यान पूर्वक देखता है | और बारीकी से उसके पेंसिल पकड़ने के तरीके पर ध्यानं केन्द्रित करता है | वह कैसे अपनी अंगुलियाँ घुमती है | कहाँ पर वह बड़े अक्षरों का प्रयोग करती है |  अत : उसका ध्यान अध्यापक के पहनावे पर एवं चलने के तरीके पर नही जाता |
2.  स्मृति की प्रक्रिया :- सुचना को दिमाग ने एकत्रित करने की योग्यता भी अधिगम प्रक्रिया का महत्वपूर्ण भाग है | स्मृति को कई प्रकार के कारन से प्रभावित कर सकते है | एकत्रित सूचनाओ को बाद में प्रयोग में लाना और उस पर अमल करना अवलोकन अधिगम का महत्वपूर्ण अंग है | हमे अवलोकन की गयी वस्तुओ को कुच्छ चिन्हों के प्रयोग के तरीके के द्वारा , समझ के द्वारा और उनका संगठन करके याद रखने की संभावना है | उदहारण : यदि कोई लता मंगेशकर की तरह गीत गाने की प्रयाश कर रही है | तो शुरू में उसके मन में लता के आवाज की तरह कल्पना लता के व्यक्तिगत रूप से गेट हुए देखकर या टी वी पर देखने के बाद करनी होगी |
3.  पुन : निर्माण की गतिक प्रक्रिया :-  हम जानते है द्रिश्यकृति के अभ्यासं के द्वारा अवलोकन यवहार के समरण के बाद शारीरिक कार्य के रूप में बदल जाता है | इसके लिए दो चीजो की आवश्यकता होती है | उदहारण : यदि कोई सचिन तेंदुलकर की तरह बलेबाज बन्ने की इच्छा रखता है तो बल्लेबाज बन्ने के लिए उसे शारीरिक क्षमता का होना आवश्यक है | यदि वह कमजोर है तो जरुरी नही की सचिन तेंदुलकर जैसा बन सके | इसके लिए बल्ले को उठाना और सचिन तेंदुलकर की तरह घुमाना बहुत कठिन कार्य होगा |
4.  प्रेरक प्रक्रिया :- जब कोई बच्चा दुसरे के कार्य को देखकर अच्छी तरह सिख लेता है | और सिखने के बाद सभी बातो को बता भी देता है | इस कार्य को अच्छी प्रकार कर लेता है | लेकिन आवश्यकता होने पर वही कार्य करने के लिए कहा जाए तो नही कर पते है | उदाहरण : मेरा एक दोस्त है | वह किसी के कार्य को देखकर सिख लेता है | लेकिन आवश्यकता पड़ने पर उसे याद नही रहता | ऐसी परस्थितियो में समुचित प्रेरणा का अभाव है | बच्चे को प्रेरित करने की आवश्यकता होती है |
उपयुक्त ऊपर चार प्रक्रियाये जानने के बाद हम कह सकते है की अवलोकनीय अधिगम में अनुकरण एक दुसरे के प्रति सहायक होते है | जब भी किसी व्यक्ति को सीखना होता है तो अनुकरण के व्यवहार से और किसी क्रिया से सीखते और समझते है | जिसे यूँ कहें कीजिसमे अवलोकन करता आदर्श की व्यवहार की नक़ल करता है | यही नही उसका पुन : निर्माण करता है | इसीलिए अवलोकन के माध्यम से अधिगम किसी आदर्श के व्यवहार का पूर्ण रूप से पुन निर्माण नही है | लेकिन अवलोकन किये गए व्यवहार के आधार पर  नए व्यवहार का विकाश है | जो अपने व्यवहार और क्रियाओ से आकर्षित करता है | वह व्यक्ति अनुकरण करने के लिए आदर्श बन जाता है |

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