काली खांसी (Whooping Cough) क्या है? लक्षण / कारण / निदान / चिकित्सा को हिंदी में जानिए | :- जैसा की आप जानते है बच्चो और जवान में मरन तक अनेक रोग होते रहता है | इस लेख में बताये गए काली खांसी (Kali Khansi) के बारे में जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें |
गाँव और शहर में कहीं भी लोग खांसी से सुरक्षित नहीं है | थोडा सा मौसम बदलने पर उन्हें बुखार से लेकर सर्दी अपने चपेट में जकड लेती है | इसीलिए इस पोस्ट में लक्षण (Symptoms), कारण (Aetiology), निदान (Diagnosis), और ट्रीटमेंट और काली खांसी की अंग्रेजी दवा के बारे में जानेंगे |
जानिए क्या है काली खांसी? What Is Whooping Cough?
काली खांसी (Kali Khansi) को वूपिंग कफ, परट्यूसिस नाम से भी जाना जाता है | यह रोग छोटे बच्चों को होनेवाला संक्रामक रोग है | इस रोग में बच्चो को बहुत परेशानी होती हैं | बच्चो को बार – बार खांसी के दौरे उठातें है | किसी भी बच्चे को इस तरह का खांसी होने पर बच्चा लम्बी आवाज के साथ साँस लेता व छोड़ता है |
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बच्चो में काली खांसी क्यों होती हैं? – Why do children have whooping cough
“काली खांसी” अधिकतर पांच वर्ष की उम्र तक के बच्चों को होता है | यह रोग आमतौर पर कम जगह में अधिक लोग रहते है उस जगह (भीड़) पर अधिक फैलने लगता है | अगर आपके आस-पास किसी व्यक्ति को सर्दी, बलगम, हुआ है और आप उसके कोई भी सामान इस्तेमाल करते है तो भी काली खांसी होने की उम्मीद बढ़ जाता है |
यह रोग “बोईटेला परटुसिस” नाम के जीवाणु से फैलता है | यह उन लोगो से ज्यादा फैलता है जिन लोगो को रोगाणु बलगम हुआ है और आप उसका थूक तथा उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए सामान का उपयोग करते है |
काली खांसी का लक्षण – Symptoms of whooping cough
हम यहाँ पर काली खांसी का मुख्य लक्षण बता रहें है जिसको आपको जानना बहुत जरुरी हो जाता है |
- हल्का बुखार होना |
- नाक से पानी बहना |
- बार-बार छींके आना
- यह रोग दिन के अपेक्षा रात में बढ़ जाता है |
- इस रोग में भूख न लगने की समस्या भी होती हैं |
- कभी – कभी इलाज कराने में दो हप्ते हो जाते है उस स्थिति में लेरेनिजयल स्पाज्म के कारण दम भी घुटने लगता है |
- कभी-कभी बच्चे को टट्टी या पेशाब निकाल जाता है | जिसके साथ उल्टी भी होने लगती है |
- लगातार खांसी आने से बच्चा थका हुआ महसूस करने लगता है |
- कुछ बच्चे को नाक से खून निकालने की समस्या, जीभ काट लेना, दौरा पड़ना जैसे परेशानी हो सकता है |
बच्चों का रखरखाव व चिकित्सा कैसे करें? How to maintain and treat children?
अगर आपको ऊपर बताये गए लक्षण बच्चें में दिखाई देता है तो निम्न प्रकार ध्यान देना चाहिए |
- घर में माँ-बहने अपने बच्चो को तेल में तला हुआ चिकना पदार्थ खाने को देती है तो सावधान रहें ऐसा बिलकुल भी नहीं करना है |
- बच्चे के आवश्यकता अनुसार भोजन में तरल पदार्थ, थोडा-थोडा खाने को देना चाहिए |
- कभी – कभी यह संक्रमण तेजी से बढ़ता है इसीलिए इरिथ्रोमाइसिन टेबलेट (Erythromycin Tablet) टेट्रासाइक्लिन कैप्सूल (Tetracyline Capsule) देना चाहिए | Tetracycline का उपयोग बैक्टीरिया के संक्रमण रोकने के उपचार में किया जाता है |
- काली खांसी का इलाज कराने पर दो हप्तो तक समय लग जाता है इसीलिए इसका इलाज हूप की आवाज आने से पहले ही करा लेना चाहिए |
- किसी भी क्षण बच्चों को साँस लेने में परेशानी हो सकती है इस स्थिति में एफिड्रिन (Ephedrine) दे सकते हैं |
- यह रोग इतना भयंकर भी हो सकता है इसीलिए स्वास्थ्य व्यक्ति या अन्य रोगी से दूर रखें तो उत्तम होता है | अगर आसपास कोई अस्पताल है तो तुरंत संपर्क कर वैक्सीन लगवा देना चाहिए |
- बच्चों को डी.पी.टी की तीन खुराक जरुर देना चाहिए |
- साल और तीन साल पर बच्चों को बूस्टर देना चाहिए |
इस लेख में काली खांसी (Whooping Cough) क्या है? लक्षण / कारण / निदान / चिकित्सा को हिंदी में बताया गया है | कभी – भी बच्चों में कोई बीमारी का लक्षण दिखाई देता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें वरना बीमारी किसी को पहचानती नहीं है | रोग प्रतिरोधक कम होने पर कोई भी बीमारी आपसे दूर नहीं है इसीलिए बच्चों के रख रखाव व खान पैन पर ध्यान देना माँ-बाप का कर्तव्य होता है |
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