Last Updated on 4 वर्ष by Abhishek Kumar
NIOS DELED 505 ASSIGNMENT 3 के पहला प्रश्न का उत्तर : पर्यावरण अध्ययन सीखने – सिखाने में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की क्या आवश्यकता हैं ? प्राथमिक शिक्षक होने के नाते पर्यावरण अध्ययन सीखने सिखाने में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन आपकी किस प्रकार सहायता करता हैं ?
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इस Question का उत्तर हम स्वयं के सोंच और ज्ञान के आधार पर दिए हैं | हो सकता है इस सवाल के प्रति आपका विचार अलग हो |अगर आपको लगे की प्रश्न का उत्तर गलत है तो आप खुद से सुधार या बदलाव कर सकतें हैं | असाइनमेंट कॉपी में इसे भी लिखने पर गलत नही होगा |
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♦ Nios Deled 505 Assignment 3 Question 1 With Answer
NIOS DELED 505 ASSIGNMENT 3 के पहला प्रश्न का उत्तर
Q. 1) पर्यावरण अध्ययन सीखने – सिखाने में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की क्या आवश्यकता हैं ? प्राथमिक शिक्षक होने के नाते पर्यावरण अध्ययन सीखने सिखाने में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन आपकी किस प्रकार सहायता करता हैं ?
उत्तर :- पर्यावरण अध्ययन सीखने सिखाने में सतत एवं व्यापक का मूल्यांकन की आवश्यकता जानने के लिए सबसे पहले यह जान लेते हैं की सतत और व्यापक कैसे काम करता हैं | हम जानते है सतत और व्यापक के द्वारा बच्चे एक निश्चित समय में क्या जानते है और उनकी व्यवहार तथा विचार में क्या परिवर्तन हुआ हैं | अधिगम लगातार चलने वाली प्रक्रिया हैं | इसीलिए अधिगम का मूल निर्धारण भी चलता रहता हैं | सतत , व्यापक का मूल्यांकन एक अध्यापक को अधिगम में रह गई कमियों तथा कठिनाइयों को पहचानने में सहायता करता हैं | इससे अध्यापक को समझ में आ जाता है की उनके द्वारा शिक्षण में प्रयोग किया गया विधियाँ से अध्ययन करने में कितनी सार्थक हैं | .इस प्रकार हम समझ सकते है की पर्यावरण सिखने सिखाने में सतत और व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता किस प्रकार बच्चे के साथ – साथ अध्यापक को शिक्षण में बहुत आवश्यकता हैं |
मूल्यांकन सतत एवं व्यापक एक क्रिया है इसके दायित्व की बिशेष जरूरतों को
ध्यानं में रखते हुये सतत एवं विस्तृत मूल्यांकन को अपनाना अत्यंत श्रेष्ठ हैं |
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की दो विधाओं के समन्वय से बना हैं |
यह दोनों एक रूप में प्रयोग होकर मूल्यांकन की सार्थकता को सिद्ध करते हैं |
सतत मूल्यांकन :- इस मूल्यांकन का अधार इस बात पर निहित है की हमारे जीवन में विकास की प्रक्रिया हमेशा चलती रहती हैं | जबतक जीवन समाप्त न हो जाये तबतक हम कुछ न कुछ सिखतें रहतें हैं | इस तरह हम सतत और व्यापक को परिभाषित कर सकते हैं की मनुष्य का जीवन सिखने के प्रति हमेशा चलती रहती हैं |
हम शिक्षक होने के नाते यह कह सकते है की सतत और व्यापक को
पर्यावरण अध्ययन सिखने और सिखाने में हमेशा आवश्यकता पद सकती हैं |
कक्षा मूल्य निर्धारण हर बच्चे के लिए इस कार्य को पूर्ण करने के तरफ लगाया जाना चाहिए |
एक अच्चा मूल्य निर्धारण कार्य सतत से चलता रहना चाहिए |
विषय के अध्ययन अध्यापन द्वारा छात्रो में केवल संज्ञात्मक विकास के ही चेष्टा नही की जाति हैं |
पर्यावरण अध्ययन के अधिगम के लिए सम्पूर्ण पद्दति का प्रयोग किया जाता हैं |
पर्यावरण अध्ययन का अध्यापन अधिगम बच्चो में विशलेषण करने का कौशल गहन चिंतन करने की योग्यता से संबंधित है |
इस प्रक्रिया का उदेश्य बच्चो को ऐसे नागरिक में बदलने का हैं |
जो की प्राकृतिक और सामाजिक पर्यावरण में विभिन्नता के प्रति सहानुभूतिशील एवं सवेदनशील हो |
अध्यापक को चाहिए की बच्चो को पञ्च अन्द्रियो का प्रयोग करना चाहिए |
मूल निर्धारण उन अधिगम का होना चाहिए |
यह मूल्यांकन केवल कक्षा में कराये जा रहे कार्यो तक ही सिमित नही हैं |
अपितु यह शैक्षिक व्यवसायिक व्यवहारगत क्रियात्मक परिवर्तनो व उपलब्धियों को अपने दायरे में समेत कर सम्मलित करता हैं |
उदाहरण के तौर पर करते समय एक अध्यापक निम्न बिन्दुओ पर ध्यान देगा |
कार्य की समझ कौशलो की प्राप्ति नवीनतम और सृजनात्मक अनुसाशन समय का ध्यान ,
कार्य करते समय सहयोग , समन्वय स्थापित करने की भावनाए आदि |
इस प्रकार ऐसा मूल्यांकन केवल किसी एक तत्व पर आधारित मूल्यांकन नहीं हैं |
तथा इस प्रकार का मूल्यांकन अधिक स्पष्ट और विश्वसनीय हैं |
सतत और व्यापक दोनों मूल्यांकन पद्दतियो को एक साथ
अमल में लेन पर ही उदेश्यों को प्राप्ति अत्यंत सहजता से हो पायेगी |
कला शिक्षण के क्षेत्र में सतत और व्यापक मूल्यांकन ही अधिक सार्थक हैं | अत इसके द्वारा ही छात्रो के विकास और व्यक्तित्व का अवलोकन किया जा सकता हैं | बच्चो के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा एक्ट आर. टी. आई 2009 के द्वारा शिक्षा के अधिकार को ध्यान में रखते हुए सतत एवं व्यापक मूल निर्धारण का अर्थ हैं | की बच्चे का मूल निर्धारण पुरे वर्ष चलेगा न की वर्ष के अंत में होनेवाली केवल एक परीक्षा के माध्यम से | हर बच्चे को सफलता का अनुभव तथा अधिगम का आनंद उठाने का अवसर प्रदान करना हैं | बच्चे में विभिन्न प्रकार की योग्ताए ढूंढे तथा उनके अधिगम में रह गई कमियों को विभिन्न तथा कई प्रकार की अनौपचारिक मूल निर्धारण की विधियों से भरे | सतत व्यापक के क्रम में शिक्षक के समक्ष अनेक चुनौतियाँ आती हैं | ये चुनौतिया बहुत सौभाविक हैं क्यूंकि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से यह सर्वमान तथ्य है | कुछ विशेष गुण तथा कौशल हैं | इसी तरह से शैक्षणिक मनोविज्ञान व्याक्तिगे अन्तरो को सकारात्मक रूप से सवीकार करता है तथा शिक्षको से यह अपेक्षा की जाती है की वे बच्चो के बिच में मौजूदा व्यक्तिगत अन्तरो को समझते हुए प्रत्येक बच्चे की आवश्यकता के अनुसार उसकी शिक्षण का प्रयास करें | यह जरुरी नही की सभी बच्चे की गति समानं होगी | यदि बच्चे अलग अलग स्तरों पर अलग- अलग गति से सिख रहे है तो शिक्षक को उनकी गति की अनुसार ही योजना बनानी होगी |
बच्चो के व्यक्तिगत कक्ष को बढ़ाना |, बच्चो को समस्त कक्ष की पहचान करना | , वर्ग कक्ष में बच्चो की सहभागिता बढ़ाना |, बच्चो की चहमुखी विकास पर बल | , पाठ के अनुरूप अधिगम बिंदु की पहचान | हमारे आसपास बच्चो के पर्यावरण अध्ययन के उदेश्यों की प्राप्ति के लिए दिल , दिमाग तथा हाथ सब का प्रयोग करना चाहिए | की बच्चे को सभी इन्द्रियों को प्रयोग करने की अवसर प्रदान करें | इसके साथ ही तार्कीक चिंतन , सृजनात्मक सोंच तथा भावनाओ के विकास के अवसर भी | नतीजे के तौर पर मूल निर्धारण उस अधिगम का होना चाहिए | जो पांचो इन्द्रियों तार्किक चिंतन एवं कलपना एवं भावनाओ से प्राप्त किया गया हो |
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sir manay 27febko veryfacation karvaya tha par abhi tak study centre show nahi hua kaya karray sabi ki class lag rahi jin ki veryfacation late hui on ki bhi class lagai ki nahi hum assainment banay ya nahi please help me kab tak centre show hoga
School programme activities ka pdf bhejye sir uska solution bhi
Dost aapne sahi likha hai par sabdd Kam hai thoda jyada likna dost thanks bro
Thank you
Plz send assignment 506 ,7 .,8
wait kijiye , question nhi bana hai
Sir plz 506 assignment k questions answers post kijiye
Sir plz 506 k answer bhejiye
abhi assignment question nhi aai hai
Sir question to aa gya h answer kab dijiye ga 13 ko jama karna h sir jaldi answer dijiye na
Deled course 506 Assignment 1 Question 1 with answer