Nios D.el.ed Assignment 503

Nios D.el.ed Assignment 503 असाइनमेंट 1 question 2 with answer

Last Updated on 4 वर्ष by Abhishek Kumar

Nios D.el.ed Assignment 503 solved question 2 with answer :
बच्चो में पढना कौशल विकसित करने हेतु किन्ही दो विधियों का उनके गुण
एवं कमियो के आधार पर आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए ?
Nios D.el.ed Assignment 503 का उत्तर जानने के  लिए पूरी पोस्ट पढ़िए ||

जैसा की हमने पिछले पोस्ट में 501 और 502 कोर्स के प्रश्न को हल कर दिया है |
इन सभी का उत्तर वेबसाइट हिंदी पर मिल जायेगा |
इसके लिए search बॉक्स में assignment लिखकर search कीजिये |
सभी उत्तर सामने होगा |

Nios D.el.ed Assignment 503

इस पोस्ट में Nios D.el.ed Assignment 503 कोर्स के असाइनमेंट 1 का दूसरा प्रश्न का उत्तर लेकर आया     हूँ |
इस उत्तर को  हमने अपने सोंच और ज्ञान   के   अनुसार लिखा है |
लेकिन आप इस प्रश्न के उत्तर के प्रति क्या  सोचते है | मुझे नही पता है |
फिर भी आप अपने अनुसार उत्तर में बदलाव कर सकते है | या खुद लिख सकते है |

⇒ Nios D.el.ed Assignment 503 solved question 2 with answer

असाइनमेंट 1

Q. 2 ) बच्चो में पढना कौशल विकसित करने हेतु किन्ही दो विधियों का उनके
गुण एवं कमियो के आधार पर आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए ?
उत्तर → जैसा की हम जानते है | प्राथमिक बच्चे को जितना पढाना मुस्किल होता है | उतना ही पढ़ाने का अनेक विधियाँ अपनाना पड़ता है | सबसे पहले हम सोचते है | सभी बच्चा अपने किताबो को पूरी तरीका से पढने को सीखें | चाहे लिखी बातो के अर्थ समझ में आये या नही | हम जानते है पढना एक सृजनात्मक कार्य है | क्युंकी पढने वाला सामने लिखी बातो का हु – ब – हु  उच्चारण नही करता है | बल्कि अपने अनुभवों से उनका अर्थ भी गढ़ता जाता है | जब हम पढ़ते हगे तो हमारी आँखे और दिमाग सारे अक्षरों विराम चिन्हों , सारे शब्दों पर ध्यान नही देते | आमतौर पर विद्यालय में बच्चो को पढना सिखाना बहुत मुस्किल काम होता है | क्युंकी पढना सिखाना एक अचूक विधि नही है | बच्चे को अपने ज्ञान और सोंच के आधार पर अनेक विधि का उपयोग कर सकते है | बच्चो में पढना विकसित करने के लिए अनेक विधियां का इस्तिमाल किया जा सकता है | जिनमे से 2 विधि इस प्रकार है |
1.  किताब पढ़कर सुनाना :- किताब पढ़कर सुनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए | की बच्चे ज्यादा न हो | और आपके आस पास गोल में बैठे हो | इस समय अन्य बच्चो को कोई और काम दे सकते है | आपके आस – पास बच्चे इस प्रकार बैठे हो की उनमे से प्रत्येक को किताब के पने असानी से नजर आने चाहिए | किताब को पढने के साथ उसमे अपना कुछ जोड़ते जाना चाहिए | कुछ किताबो में कहानी या सामग्री बिस्तर से दी गयी होती है | उसे वैसा के वैसा पढने के  बजाय छोटा करके अपने शब्दों में सुनाना चाहिए | इसके विपरीत यदि प्रत्येक पेज पर एक या दो पन्तियाँ लिखी गयी हो तो उसमे कुछ जोड़ा भी जा सकता है | किताबो के साथ काम करते समय यह भी जरुरी है की दिए गए चित्रों को बच्चो को दिखाया जाये | और उन पर विस्तार से बात की जाये |
2.  कविता सुनाना एवं गाना :- कौशल में पढना एक महत्वपूर्ण साधन है | इस कौशल के विकाश में कविता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है | यदि बच्चो को नियमित रूप से कविता सुनाई जाये तो वह भाषा के बुनियादी संरचना को समझने में मदद कर सकती है | कविता को याद करना जयादा आसान होता है | उन्हें याद करने में बच्चो को अधिक कोशिश नही करनी पड़ती | बार – बार सुनाने , मज़ा लेने , दोहराने से कविताये अपने आप याद हो जाती है | बच्चो को पढने के लिए अलग तरह की कविताए चाहिए | इस तरह की कविताए अध्यापक स्वयं छांट सकते है | जिनमे भाषा का स्वाभिमान प्रयोग हो | ऐसी कविताए जो नैतिक सिख देती हो | उनसे दूर रहना चाहिए |

पढना सिखाने के  प्रचलित तरीके व उनमे खामियां 

1.  पढने के नियमो पर शीघ्र अधिकार का लक्ष रखा जाता है | :- हम जानते है की पढने के कोई नियम नही होते है | जिससे किसी भी बच्चा को परिभाषित करके बताया जा सके | सभी पढ़ते – पढ़ते पढना सिख जाते है | ज्ञान स्कूल में शिक्षा से विकसित नही होता है | इसके लिए पढने का अभ्यास जरुरी है | ऐसा कोई परिमाण नही है की बच्चा को व्याकरण सिखाने से वह बोलना सिख जाता है | और न ही कोई साबुत है की उच्चारण या अन्य गैर – पठन गतिविधियों के पढने के विकाश में कोई मदद मिलती है | आमतौर पर जिन्हें पढने के नियम कहा जाता है | वे मात्र पढने के निर्देश देने का संकेत है | पढना सीखना नियम रटने का मामला नही है | बच्चे पढना पढ़कर ही सीखते है |
2.  पढने में यह सुनिश्चित किया जाता है | की बच्चे धवनी के नियम सीखकर उन पर अमल करे | :- पढने की क्षमता और हिज्जो का सम्बन्ध जानने से आती है | यह माना जाता है की नियमा नुसार पढने का यह गड़बड़ पहलु है | वास्तव में पढना मात्र लिखे हुए से उच्चारण कर लेने से पूरा नही होता है | उच्चारण कर लेने से पहले ही अर्थ पकड़ लेना होता है | और मात्र धवनी पैदा कर लेने से अर्थ नही बनता | अक्षरों को आवाज में न बदलना आवश्यक है बल्कि फालतू मेहनत  वाला भी है | थोडा ध्यान देने पर सपष्ट हो जाता है की धारा प्रवाह पढने वाला पाठक अर्थ समझाने के लिए , अक्षरों को धवानियो में बदलने के लिए , चक्कर में नही पड़ते |
3.  शब्द दर शब्द पढने पर जोर दिया जाता है | :- अलग – अलग शब्दों को पहचानने या सिखने पर जोर नही डालने का एक और कारन यह भी है की यह सबसे कठिन तरीका है | धाराप्रवाह पढने वाला पाठक दुसरे संकेतो का उपयोग करते है | कोई अक्षर जब किसी शब्द में आता है | या जब कोई शब्द किसी सार्थक वाक्य में आता है तो उसे पहचानना असान हो जाता है | धाराप्रवाह पढने वाले पाठक शब्फ्द नही पढ़ते , वे अर्थ पढ़ते है | अर्थ हेतु पढना शब्द पढने से कहीं जयादा असान है | बच्चे नि : संदेह इस बात को जानते है | क्युंकी हर शब्द को पढना उनकी जानकारी जानकारी पचाने की क्षमता पर बहुत दबाव डालता है |

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