मछली पालन कैसे शुरु करे (Fish Farming Business In Hindi): जैसा की आप जानते है मछली में प्रोटीन पाया जाता है. जिसके वजह से अधिकतर लोग मछली का सेवन करते है . उन्ही में से अनेकों ब्यक्ति स्वाद के लिए मछली का सेवन करते है.
ऐसे में दुनियां में मछली की खपत ज्यादा हो रही है. अगर मछली को नहीं पाला जाये तो एक दिन सभी मछलियां समाप्त हो जाएगी. और होगा की खाने तो दूर देखने के लिए मचलियाँ मिलना मुस्किल हो जाएगी. ऐसे में मछली का बिजनेस (Fish Farming Business) करते है तो मछली के उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकता है.
जैसा की आप जानते है मानव द्वारा मछली को कई युग पहले से खाया जा रहा है. पहले के ज़माने में भी राजा-महाराजा मछली का सेवन करते थे. यदि आप बेरोजगार युवा है तो गाँव या छोटे शहरों में मचली का कारोबार कर सकते है. जब मछली की बात होती है तो यह कह सकते है की आज के मनुष्य मांस मछली पर ज्यादा निर्भर रहते है.
मचली का खपत बढ़ने से अनेकों लोग मछली पालन उद्योग का शुरुआत कर रहें है. छोटे स्तर और बड़े स्तर पर Fish Farming Business किया जा सकता है. वेबसाइट हिंदी के पोस्ट में मत्स्य उत्पादन के बारे में पूर्ण जानकारियां शेयर किया गया है.
Fish Farming Business In Hindi
मछली पालन क्या है (What Is Fishery Industry In Hindi)
मानव जगत में मछलियों को प्रयाप्त मात्रा में मिलने के लिए कृत्रिम रुप से जलाशयो का निर्माण किया गया. जिसमें मछालियों का पालन-पोषण करना और मछलियों की संख्या में वृद्धि करने की प्रक्रिया को मछली पालन कहते है.
जैसा की आप जानते है मछली मानव का बहुत बड़ा स्रोत है. यानि की मचली के खपत के अनुसार मछली का उत्पादन मचली के लालन पालन द्वारा किया जाता है.
वहीं छोटे व बड़े कृत्रिम क्षेत्र में मछलियों के पालन करने को ही मत्स्य उद्योग (Fish Farming) कहा जाता है.
मत्स्य उद्योग का इतिहास (Machhali Palan Ka Itihas)
बढती जनसँख्या में खपत हो रही मछली को देखते हुए भारत में सबसे पहले मछली पालन पश्चिम बंगाल से शुरू की गयी. इसके पहले भी कई सदियों से मछली पालन की व्यवसाय किया जा रहा है. कहा जाता है की मानव प्रारंभिक काल से मछलियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
पहले के समय में कौटिल्य के अर्थशास्त्र व राजा मानसोलासा के ग्रंथ है जिसमें मछलियों के संस्कृति का वर्णन है. इस तरह भोजन के रूप में बहुत ही पहले से मछलियों का इस्तेमाल हो रही है.
इसी तरह समय के अनुसार ही भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका , अफ्रीका, चीन , इंडोनेशिया में मछली का बिजनेस तेजी से होने लगा.
मछलियों में प्रचुर मात्र में खनिज के रूप में प्रोटीन, कैल्शियम , पोटेशियम , फास्फोरस, आयरन, आयोडीन,सल्फ़र व आयोडीन, बायोटिन, रैबोफ्लोविन, पेंटोथेनिक एसिड, विटामिन बी 6 और विटामिन 12 इत्यादि मौजूद रहता है. मानव जीवन में संतुलित आहार व स्वास्थ्य रहने के लिए भोजन में विटामिन्स की भी आवश्यकता बढ़ जाती है.
यदि आप मांसपेशियों को मजबूत बनाना चाहते है तो शारीर में पोषक तत्व की आवश्यकता होती है. जिसके लिए लोग मछली का इस्तेमाल करते है. सबसे मुख्य बात यह है की मछलियों में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाया जाता है.
मछलियों की प्रजातियां
जैसा की आप जानते है मछलियों को भोजन के रूप में बहुत ही ज्यादा लोग इस्तेमाल करते है. वहीं प्रजातियों की बात करें तो आपको बता दू मछलियों की 20,000 प्रजातियां पुरे दुनियां में पाई जाती है , अगर भारत की बात करें तो 2,000 से अधिक प्रजातियां केवल भारत में मौजूद है.
बिहार और उत्तर प्रदेश (Up) में लगभग 111 प्रकार के प्रजातियां पायी जाती है वहीं गंगा नदी की बात करें तो आपको बता दू गंगा नदी में लगभग 375 प्रजातियां पायी जाती है.
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मछली पालन कैसे करे (How To Start Fish Farming In Hindi)
भारत में कहीं में मछली पालन करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है. जगह – जगह सरकार द्वारा मछली पलने से लेकर देखभाल करने तक ट्रेनिंग (Training) कराया जाता है. मछली पालन करने के लिए सोंच समझकर निर्णय लेना चाहिए.
मछली पालन में बहुत ही जटिलता होती है. वहीं ट्रेनिंग की बात करें तो आपको बता दूँ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा समय – समय पर ट्रेनिंग दिया जाता है.
मछली पालन करने से पहले आपको बहुत सारे चीजों पर ध्यान देना चाहीए , अगर ऐसा करते है तो आप मछली पालन करने में सक्षम हो सकते है.
(1.) तालाब का निर्माण करना
मछलियों को पालने के लिए तालाब का निर्माण जरुरी है. यदि आपके पास खाली जमीन, खेत है तो आप आसानी से तालाब बनवा सकते है.
जैसा की हम जानते है गाँव/ देहात में सरलता से तालाब बनाने का जगह मिल जाता है.
आपके पास कम से कम 0.3 हेक्टेयर तक केवल तालाब के लिए जगह होना चाहिए.
तालाब की खुदाई वैसी जगह करना चाहिए जहाँ पर सालों भर पानी भरने की सुविधा मौजूद हो या आप नहरे के अलावा बोरिंग का इस्तेमाल भी कर सकते है.
पानी का बहाव रोकने के लिए तालाब की मरम्मत करना आवश्यक हो जाता है.
तालाब में पानी भरकर 7 दिन तक छोड़ना पड़ता है
ताकि पता चल सके की कहीं से पानी का रिसाव तो नही हो रहा है.
तालाब के निर्माण में चिकनी मिटटी का इस्तेमाल होता है यानि की तालाब का निर्माण चिकनी मिट्टी पर करना चाहिए.
तालाब का निर्माण करने से पहले मत्स्य विभाग से मिट्टी का प्रशिक्षण करा लेना चाहिए.
मछली पलने के लिए मिट्टी का Ph कम से कम 7.0 होना चाहिए.
मछलियों के पालन जहाँ पर भी करना चाहते है
उस जगह के मिट्टी में जल धारण क्षमता तथा उर्वरक क्षमता ज्यादा होना चाहिए.
तालाब के निर्माण में किसी भी प्रकार के दिक्कत होती है तो मत्स्य विभाग का मदद ले सकते है.
मछली पालन करने से पहले मछली के नस्ल का चुनाव करना आवश्यक होता है. ताकि आपका बिजनेस सफल हो सके. जब भी आप मछली पालन का बिजनेस करते है तो आपको यह तय करना चाहिए की आपके किस क्षेत्र में किस टाइप के मछलियों की मांग ज्यादा है.
मछली का व्यवसाय वहां के जलवायु पर भी निर्भर करता है. आपको उसी नस्ल के मछली का चुनाव करना चाहिए जिसका मांग मार्किट में ज्यादा हो और जिस मछली को कम समय में बड़ा किया जा सके.
हलाकि देखा जाये तो भारत में सभी प्रकार के मछलियां पायी जाती है जिसमें से आप अपने क्षेत्र के अनुसार मछलियों को सिलेक्ट कर सकते है.
अगर आप अधिक से अधिक लाभ देने वाली मछलियां को पालना चाहते है तो कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प, कतला, रोहू और मृगल जैसी मछलियां को पालन के रूप में चुनाव कर सकते है.
(3.) मछलियों का देखभाल
मछली पालन करते समय मछली को देखभाल करना जरुरी होता है. देखभाल की आवश्यकता तब ज्यादा होती है जब मछलियां वृद्धि करने के संकेत देती है.
समय – समय पर तलब को सफाई करना आवश्यक होता है.
नियमित रूप से तलब में पाए जाने वाले पानी का Ph को जाँच करना आवश्यक होता है.
जैसा की आप जानते है मौसम एक अनुसार तालाब के जल में कई प्रकार के कीड़े उत्पन्न हो जाते है उन खतरनाक कीड़ों को नुकसान पहुँचाने के पहले बचाव के लिए उचित प्रबंध करना जरुरी होता है.
मछलियों में अनेकों प्रकार के रोग होने से मछलियां मर जाती है ऐसे में उनके बचाव के लिए उचित दावा का प्रयोग कर सकते है.
कई प्रकार के जीवों और कावों से बचाने के लिए देखभाल व प्रबंधन करना आवश्यक है.
(4.) मछलियों को खाने की व्यवस्था
मछली पालन करते समय सबसे ज्यादा खाने – पिने पर ध्यान देना जरुरी होता है.
मछलियों को पलते है तो आपको बता दू किसी भी प्रकार के लापरवाही करना नुकसान हो सकता है.
मछलियों के खुराक अनुसार भोजन,
आटे के साथ गोबर और खाद की आवश्यकता होती है.
मछलियों को बहरी भोजन देने के साथ – साथ प्राकृतिक भोजन की आवश्यकता होती है.
(5.) मछलियों के मार्केटिंग
मछलियों के उत्पादन करने के साथ इनके मार्केटिंग पर भी ध्यान देना चाहिए.
आपको तय करना चाहिए की आप किस टाइप के मछलियां किस मार्किट में बेचना चाहते है.
सबसे पहले जिस जगह मछलियों का उत्पादन हो रही है उसी क्षेत्र में बेचना होता है.
जैसे – जैसे मछलियों का मांग बढ़ता है वैसे – वैसे आपना व्यवसाय का क्षेत्र बढ़ा सकते है.
स्थानीय क्षेत्रों में सफलता मिलने के बाद राज्य और विदेशों में मछलियों का विक्री करना पड़ता है.
पर सफल होने के लिए सबसे पहले स्थानीय क्षेत्रों और नजदीकी जिला/राज्यों में मार्केटिंग करना सही रहता है.
मछली पालन करने के फायदे.
भारत में अनेकों नदियाँ, नाहर बहती है जिससे पानी की सुविधा ज्यादा होती है इसलिए हम कह सकते है की यहाँ पर मछली पालन करना सुरक्षित है.
आज के समय में अधिक से अधिक जनसँख्या मछली को आहार के रूप में इस्तेमाल करती है इसलिए मछली पालन करने से सफल होने की संभावना बढ़ जाती है.
अधिकतर देखा गया है की गांवों में कम पैसे पर ज्यादा मजदूर मिल जाते है इसलिए गांवों में मछली पालन करना फायदे का काम है.
भारत का वातावरण मछलियों के लिए बहुत ही बढियां है इसलिए अगर आपके पास खाली जमींन या खेल है तो मछली उद्योग लगा सकते है.
बिहार और ऊतर प्रदेश में ग्रामीण कृषि और खेत होने से मछली पालन करना सही हो सकता है क्यूंकि यहाँ पर पानी की प्रचुर मात्र नहरों से प्राप्त होते है.
सरकार द्वारा अनेकों योजनाओं से मछली उद्योग में लाभ मिलता है.
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में मछली पालन कैसे शुरु करे (Fish Farming Business In Hindi) के बारे में डिटेल्स शेयर किया हूँ. इस पोस्ट में यह भी बताया हूँ की मछली का उद्योग लगाने के लिए किस टाइप का देखभाल करना आवश्यक होता है.
लोगो के मन में सबसे ज्यादा इस बात का ख्याल होता है की मछली का बिजनेस करने से फायदा कितना होगा तो आपको बता दू मछली पालन से होने वाले फायदे और मछलियों को आहार में देने के भोजन प्रक्रिया को इस आर्टिकल में शेयर किया गया है.
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