Deled course 508 Assignment 1 Question 1 With Answer – विद्यालय में दैनिक शिक्षण अधिगम में कला शिक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं |`दृश्य एवं निष्पादन कला के एक – एक क्रियाकलाप का चयन करके इस कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए |
इस पोस्ट में Deled course 508 Assignment 1 के पहले प्रश्न का उत्तर लेकर आया हूँ जिसे आप असाइनमेंट कॉपी में wright कर सकते हैं |
Deled course 508 Assignment 1 Question 1 With Answer
Q. 1) विद्यालय में दैनिक शिक्षण अधिगम में कला शिक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं |`दृश्य एवं निष्पादन कला के एक – एक क्रियाकलाप का चयन करके इस कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए |
उत्तर :- कला शिक्षा अधिगम का एक प्राथमिक रास्ता है | सौन्दर्य परक अनुभव के लिए शिक्षण के अर्थ के खोज की एक यात्रा हैं | कला मानवीय कल्पना कौशल और अविष्कार द्वारा सृजित विचारो की एक अभिव्यक्ति हैं | एक कहावत हैं संगीत क्या हैं | पसंदीदा आवाजो की अनुभूति | उसी प्रकार अन्य कला रूपों पर लागु होता हैं | गति मनोभाव व्यक्त करता हैं | आवाज अनुकूलन स्वयं के रास्ता दिखता हैं मस्तिक के आंतरिक सतहों को प्रगट करता हैं | मूर्तिकला स्वयं को प्रतिबिंबित करता हैं | यही कला शिक्षा हैं | हमारे लिए कला शिक्षा की जरुरत क्यों हैं | कला शिक्षा का एक अधिगम क्षेत्र है जो इन पर आधारित हैं |
एक कलाकार कागज कैनवास , मिटटी , धातु , पेंट आदि | उपयोग करता हैं | जिसे सांचे में ढला या कुछ भौतिक या कला वस्तुओ को सृजित करने में रूपांतरित किया जा सकता हैं |
(a.) चित्रकला
(b.) मूर्ति
(c.) चित्रकला
(d.) रूपरेख ( गहने मृद्भांड , , बुने , वस्त्र आदि में और कुछ व्यवहारिक क्षेत्रो के लिए रूपरेखा बनाया जैसे , व्यवसायिक रेखाचित्रो और गृह सज्जा )
(e.) समकालीन विषय समाहित करता हैं | फोतोफ्राफी , विडियो , फिल्म , रूपरेखा , कंप्यूटर आदि |
हमारे चारो ओर कला हैं | पेंटिंग , वास्तिक्ला , मृदभांड , मूर्तिकला आदि में | हमारे घर में हमारा वास्तुकला हमारे पहनावे का तरीका , भोजन प्रदर्शित करने का तरीका , हमारे खड़े होने का तरीका , बैठने या बात करने का तरीका , – एक व्यक्तिक तरीका हैं | हमारे जीवन में प्रत्येक अवसर , उत्सओं में सौन्दर्यपरक अनुभूति सम्मलित रहती हैं | दिवाली पर हमारे दरवाजे पर रंगोली , दशहरा पर रवां की विशाल प्रतिमा , अस्थायी सुन्दर मंदिरों और देवी दुर्गा का अविस्मरनीय प्रतिमा जो की प्रत्येक वर्ष एक नवीन मानवीकरण हैं | प्रत्येक दिन नए प्रकार , रूप के दिवस उत्पन्न होना , हम कैसे सोंच सकते हैं की जीवन कला से अनछुआ हैं | दृश्य कला के विचार और कौशल सांस्कृतिक , ज्ञान परम्परा और प्रथाओं के संचरण में सहायता प्रदान कर सकते हैं |
2. निष्पादन कला का एक क्रियाकलाप :-
कठपुतली नृत्य कला में सबसे अधिक प्राचीन हैं | जब नाटक का प्रारंभ हुआ था | उस समय से ही कथ्य पुतली नृत्य व्यवहार में प्रचलित हैं | कठपुतली कला न ही भारत का ही कला है अपितु विदेशो में भी विभिन्न प्रकार की कठपुतलियो का प्रदर्शन किया जा रहा हैं और वर्तमान में भी किया जा रहा है | कनाडा , कोरिया , वियतनाम , जर्मनी , इंडोनेशिया आदि देशो में कठपुतलियो के नृत्य करवाये जाते हैं | और आज भी अच्छी प्रयोगिताओ में कठपुतलिया भाग लेती हैं |
कठपुतलियो के निर्माण की विधि
कठपुतली जैसा शब्द से मालू होता हैं की ये काठ की लकड़ी की बनी होती हैं | ये सब नावाव आक्रति की पुतलियाँ हैं | जिन्हें यात्रा के अनुसार विभिन्न प्रकार की भेश्भुषाओं से सजाया जाता हैं | राज्यस्थान में आज भी कठपुतलियो के खेल दिखाए जाते हैं | जिसे निम्न स्तर में शिक्षा दिए जाते हैं | जीने विभिन्न स्तर में गिना जाता हैं | यह कलाकार कठपुतलियां बनाते हैं तथा उनके खेल दिखाते हैं |
कठपुतली कला का महत्व
हमारे यहाँ कठपुतली काला का बड़ा महत्व हैं | कठपुतली के माध्यम से कठपुतली कलाकार केवल मनोरंजन ही नहीं करते वल्कि इसके माध्यम से लिक कथाओं को प्रगट करते हैं | पौराणिक कथाओं को जैसे – रामायण , महाभारत , बाबा रामदेव तेजस्वी के बारे में चित्रण करते हैं | कठपुतली के माध्यम से बालको के उचित हावभाव एवं अभिनय करने की कला सिखाई जाती हैं | कठपुतली के खेलो एवं नाटिकाओं के अभ्यास के प्रदर्शन में बालको के मौखिक अभिव्यक्ति का विकास किया जा सकता हैं | यह विद्यालयी शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रत्येक विषय को अधिक रूचि कर एवं उतेजक बना सकता हैं | यह एक बच्चे को विद्यालय में बेहतर सिखने को निष्पादन में सहायता करता हैं |
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Deled course 508 Assignment 1 Question 1 With Answer
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