Deled course 502 Hindi assignment 3 last question solved 1000 word

Last updated on April 29th, 2019 at 12:21 pm

Hindi assignment :
मान लीजिए की आपकी कक्षा में कुछ विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे है |
ऐसे बच्चो को सिखाने के मददगार के रूप में किस प्रकार सहायता करेंगे ? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए Hindi assignment पोस्ट पढ़िए |

हमने पिछले पोस्ट में Hindi assignment 501 का सभी question का उत्तर पब्लिश कर दिया है |
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इस लेख में 502 का असाइनमेंट 3 का उत्तर
1000 word में अपने थिंकिंग और ज्ञान के द्वारा लिख रहा हूँ |
हो सकता है | आपके सोचने का तरीका अलग है |
इसीलिए इस उत्तर में बदलाव कर सकते है या खुद से लिखिए !

⇒ Deled course 502 Hindi assignment 3 last question solved 1000 word

Hindi assignment

Q. 1 ) मान लीजिए की आपकी कक्षा में कुछ विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे है |
ऐसे बच्चो को सिखाने के मददगार के रूप में किस प्रकार सहायता करेंगे ?
प्रारंभिक स्तर पर समानता के मुददे का महत्वपूर्ण अंग एक जैसा समूह है | जो विशेष आवश्यकता वाले बच्चे से बनता है | विद्यालय में जाने के बाद कई बार अक्षमता वाले बच्चे देखने को मिला है | परन्तु इस तरह के बच्चे बहुत कम ही देखने को मिलते है |  जैसे – अक्षमता , सुनने , देखने की अक्षमता , बौधिक क्रिया का निम्न स्तर तथा अपनाने के व्यवहार में कमी आदि | विद्यालय में सभी बच्चो के साथ – साथ इन बच्चे को संभालना होता है | ताकि बच्चे के अधिगम तथा निष्पति में सुधार हो सके | कक्षा में अध्यापक को सभी बच्चे की तरह अक्षमता वाले बच्चे पर अलग से ध्यान देना चाहिए | कभी – कभी इस तरह के बच्चे दुसरो को देखकर खुद को असमर्थ महसूस करते है | उन्हें लगता है की मै उन सभी के जैसा नही हूँ | जो कक्षा में पढ़ते है |इसीलिए विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चो को एक्स्ट्रा समय देकर अलग तरीका से पढाई करवाना चाहिए | इस तरह के बच्चे को समझाने के लिए अध्यापक को मिलकर कुछ अलग तरीका से पहचान करके पढ़ाना चाहिए | विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को पढ़ाने के लिए उनके श्रेणी तथा पहचान के बारे में जानना जरुरी है

विशेष आवश्यकता वाले बच्चे की श्रेणी तथा पहचान

1.  शारीरिक बाधित :- जिस किसी कक्षा में अक्षमता वाले बच्चे रहेंगे | वैसे बच्चे का जैसे – हाथ पैर , गर्दन , कमर तथा अनुलियाँ उन्हें बैठने में , आस – पास मुड़ने में , वस्तुओ को उठाने में तथा घुमाने में कठिनाई महसूस करती / करता है | यानि की इस तरह के बच्चे के कोई अंग खराब होते है |
2.  दृष्टि बाधित :- अवलोकनीय आँखों की आवृति : आँखों को जल्दी – जल्दी मसलना , आँखों का सीधा लाल होना , एक आँख बंद कर हाथ को आगे मोड़ना | वस्तुए उठाने में आँख बंद करना , स्याम पट से लिखित नोट्स उतरने में दुसरे बच्चो से मदद मांगता है | जल्दी – जल्दी पलक झपकाता है | आँखों में पानी , सर दर्द का सिकायत करता है | तथा आखे बंद करता है | लोगो या वस्तुओ के ऊपर गिर पड़ता है |
3.  श्रवन एवं वाणी बाधित :- सुनने तथा बोलने अवलोकनीय कानो की विकृति : कान / कानो से लगतार बहना , जल्दी – जल्दी कान दर्द का सिकायत करना , प्राय : कान कुरदेना | ठीक से सुनने के लिए सर को एक तरफ मोड़ना | अधिकांश समय शिक्षक के कथन को दोहराने का अनुरोध करना | , श्रुतलेख में कई गलतियाँ करना , शिक्षक को सुनते समय उनके मुख को सावधानी से देखना | तथा बोलने में कठिनाई प्रदर्शित करना |
4.  अधिगम अक्षमता :- अधिगम अक्षमता निम्न शैक्षिक संप्राप्ति का प्रदर्शन , थोड़े से समय के बाद अधिगम को भूल जाना , कक्षा में असावधान तथा विकसित , अमूर्त वस्तुओ पर निर्भर रहना , निम्न स्व कल्पना , आत्म विश्वास में कमी , पुनरावृति तथा अभ्यास  की चाहत , जब बच्चे से कुछ कहा जाये तो उसे यह बताने में कठिनाई होती है की उससे क्या पूछा गया है | वह नीरस तथा धीमी तरीके से कार्य करता है | कार्य करने के अधिगम कठिनाई , अमूर्त वस्तुओ को समझाने में कठिनाई , अमूर्त उदाह्र्नो में अति निर्भरता |विशेष आवश्यकता वाले बच्चो को सँभालने में सर्व प्रथम कदम उनके ठीक प्रकार से उनकी अक्षमता के अंश से पहचान करना है | शिक्षक को ऐसे बच्चो के समस्याओ को उपयुक्त चिकित्सीय जाँच , परीक्षा तथा उनके व्यवहार की विशेषताओ के अवलोकन द्वारा खोजना है |एक बार इन बच्चो के पहचान हो जाये तो उन्हें उपयुक्त व्यक्तियों समस्याओ के पास उनकी अक्षमताओ के देखभाल हेतु भेजा जाता है | श्रवन सम्बन्धी कठिनाई वाले बच्चो को चिकित्सा के आवश्कता हो या कुछ श्रवन सम्बन्धी समस्या वाले बच्चो की एक लैश या बड़ा दिखने वाले शीशे की जरुरत हो |

ऐसे बच्चे को सिखने के मददगार के रूप में सहायता किया जा सकता है | 

अन्य बच्चो के भाती इन बच्चो के लिए भि पाठ्यक्रम पहुच के भीतर हो |
इस उदेश्य को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम तथा कक्षा – शिक्षण में समायोजन द्वारा सुधारात्मक उपाय किये जाते है |
ऐसे बच्चो को अधिगम के बढ़ावा देने के लिए विद्यालय तथा कक्षा में कुछ प्रावधान किये जा सकते है |
1.  लोकोमोटर विकलांग बच्चे → इस तरह के बच्चो के पास उसी तरह के अधिगम      क्षमता होती है | जैसे की अन्य बच्चो में | परन्तु इनमेहिगम क्रियायो को सिखने में कुछ क्रियाये हो सकती है | इस बच्चे में समजोजन सम्बन्धी समस्याए विकसित हो जाती  है |अध्यापक को ऐसे बच्चा को कक्षा    में स्वीकार नही चाहिए जो इन   सभी बच्चे पर अवलोचनात्मक टिपणी करे | कक्षा के सभी अधिगम क्रियाओ को   इन बच्चे को दुसरे के सामान भाग लेने हेतु शामिल किया जाये | यह सुनिश्चित किया जाये की खेल , शारीरिक क्रियाए तथा मनोरंजनात्मक क्रियायो में इन बच्चो को कार्य करने की क्षमता  के स्तर  आधार पर उन्हें भाग लेने हेतु प्रयाप्त    अवसर मिलना चाहिए |
२. दृष्टि दोष वाले बच्चे → इस तरह के बच्चो को     आसानी से पहचाना जा सकता है | कुछ बच्चे अंसिक रूप से दृष्टि दोष युक्त होते है | इन बच्चो के  दृष्टि को लेंश के   द्वारा दूर कियाकता है |
ऐसे बच्चे को कक्षा के आगे के पांति में बैठाए ताकि वे आसानी से स्याम पट को देख सके | आपको स्याम पट पर बड़े अक्षरों में लिखने तथा जो आप स्याम पट पर लिख रहे है | उसे जोर से पढने की आवश्यकता है | दृष्टि दोष समस्या वाले बच्चो पर पढने का बोझ कम करने हेतु उन्हें समझने के साथ सुनने में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए  | शरीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर उन्हें देने की आवश्यकता है | आशिक दृष्टि दोष वाले बच्चे के लिए एक पुस्तक स्टैंड की आवश्यकता हो सकती है |
3.  श्रवन तथा वाणी दोष वाले बच्चे → श्रवन संशय वाले बच्चो के पांति में     बैठना चाहिए | ताकि जो आप बोले वे आसानी से समझ सके | जब अध्यापक कक्षा में बोले तो आपको एक उपयुक्त स्तर का स्वर रखे | बुदबुदाना तथा तीब्र गति से न बोले | जब आप पाठ्यपुस्तक को पढ़े | तो यह सुनिश्चित करे की आपके होठो की गति ऐसे बच्चो को दिखाई दे ताकि वे सुनने के किर्या को होठो को पढने द्वारा संपूरक बना दे | संगी साथियों को इन बच्चो के साथ अंतक्रिया हेतु प्रोत्साहित करे | तथा सुनने में एक दुसरे को सहायता करे |
4.  अधिगम क्षमता वाले बच्चे →
इस तरह के बच्चो को अधिक अमूर्त अनुभव प्रदान करने की आवश्यकता है |
यह अनुभव उपलब्ध मानक या बनाई गयी सामग्री के द्वारा प्रदान किये जा सकते है |
स्थानीय वातावरण से सीधे अनुभव प्राप्त करने हेतु क्षेत्रीय भ्रमण का आयोजन किया जा सकता है |
इन बच्चे को अन्य बच्चे के सामान तुलना में अधिक पुनरावर्ती तथा अभ्यास की आवश्यकता होती है |
अधिगम कार्य को छोटे – छोटे टुकड़ो में बटने की आवश्यकता है |
तथा अधिगम के महत्वपूर्ण विन्दुओ पर उनके ध्यान को विशेष रूप से आकर्षित करने की आवश्यकता है |
क्यूंकि इनका ध्यान समय बहुत कम होता है |
मौखिक रूप से सामग्री द्वारा तुरंत पुर्नबलन इन बच्चो के लिए प्रेरणादायक होता है |
सामाजिक स्थितियों में इन बच्चो को सम्प्रेषण कौशलो के आवश्यकता होता है |

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Deled course 502 Hindi assignment 3 last question solved 1000 word

22 thoughts on “Deled course 502 Hindi assignment 3 last question solved 1000 word”

  1. Sir plzz hme assinment 3 k 502 k 1 question ka ans . Bataiye hme OR wala nahi chaiye aur sir hindi m degiye ga plzzz sir ho sake to aaj hi post kr digiye ga plzz

  2. sir abhishek,
    assiment kb ouar khan’jama krna hai
    kripiya hme eski sahi jankari de
    ab tak eski koi jankari nhi mil
    paya hai.

  3. Hey man ..,Kya tum v iss course se jure ho…?
    yaa bss uuhi logo ki help kar rhe ho..
    By the way it’s very helpful for students .,

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