Deled course 501 Assignment

Deled course 501 Assignment 1 question 1 with answer in hindi

Last Updated on 4 वर्ष by Abhishek Kumar

Deled course 501 Assignment 1 question with answer in hindi »
 इस पोस्ट में डी.एल.एड असाइनमेंट 1 का प्रश्न का उत्तर दी गई है |

इस लेख में d.el.ed कोर्स 501 में स्त्रीय कार्य 1 के प्रश्न का उत्तर स्वयं के सोंच और ज्ञान के  अनुसार दिया गया है |
Deled course 501 Assignment
इसको पढने के बाद उतर को लिख सकते है |
लिखते वक्त कुछ change करना आवश्यक है |
नही तो असाइनमेंट कॉपीराइट हो सकता है | आप अपने थिंकिंग के अनुसार बदलाव कर सकते है |

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निचे दिया गया प्रश्न के उत्तर अच्छा लगे तो कमेंट करके बताइए |
इसी तरह अगले प्रश्न का उत्तर बनाया जायेगा |
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♦ Deled course 501 Assignment 1 question with answer

Deled course 501 Assignment

Q. 1 ) आप किस प्रकार महसूस करते है कि प्राचीन गुरु की भूमिकाए बदल गई है ? आप एक शिक्षक होने के नाते आप प्राचीन गुरु की कौन-कौन सी बिशेश्ताओ को अपनाना चाहेंगे और क्यों ?

प्राचीन भारत में गुरु को विभिन्न प्रकार की भूमिकाए संपादित करनी होती थी | वह विधार्थियों के लिए माता पिता की , अध्यापक की ,एक विद्वान की , एक धर्म प्रचारक की , एक मित्र की एक दार्शनिक  तथा पथ पारदर्शक की भूमिका निभाता था | विधार्थियों की आवश्यकताओ व्यक्तिगत रूप से देखभाल करता था | यह देखना गुरु का ही कर्त्यव्य था | कि विधार्थी विकाश कर रहा है | और गुरु तथा स्वयं के संतुष्टि से प्रगति कर रहा है | अध्यापक और शिष्य में पिता – पुत्र की तरह अत्यंत गहन तथा आंतरिक संबंध होता था | अध्यापन विधि गुरु और शिष्य के बिच मौखिक सवाद के रूप में थी | इसके आंतरिक व्याख्यान प्रवचन , वाद विवाद तथा विवेचना स्वर पठन तथा पुनरावृति विधार्थी के दैनिक क्रिया के अंग होते थे |
मूल्याङ्कन सतत तथा व्यापक रूप से होता था | जिसे गुरु संचालित करता था | औपचारिक रूप से कोई परीक्षा नही होती थी | कोई डिग्री या सर्टिफिकेट नही दिए जाते थे | केवल दीक्षांत समरोह के समय गुरु यह घोषणा करता था की अमुक विधार्थी ने अनुबद्ध अध्ययन के पूर्ति के पश्चात अस्नात्तक की अवधि प्राप्त कर ली है | गुरुकुल में प्रवेश प्रवेश – परीक्षाओ के माध्यम से होती थी | ये परिक्षाए अत्यंत कठिन होती थी | और उच्च शिक्षा के जाने माने केन्द्रों – तक्षशिला नालंदा कांची बनारस  इत्यादि स्थानों पर आयोजित की जाती थी | इन केन्द्रों पर पुरे भारत तथा विदेशो से भी विधार्थी आते थे | गुरुकुलो की यह विशेषता रही है | की इनमे शिक्षा व्यक्तिगत आधार पर डी जाती थी |
प्राचीन भारत कमे शिक्षा की गुरुकुल प्रणाली थी | एक निश्चित अध्ययन अवधी के लिए विधार्थी को गुरु के साथ रहना पड़ता था | गुरु का आश्रम एक प्रकार बोर्डिंग विद्यालय होता था | प्रत्येक विधार्थी चाहे निर्धन हो या धनवान या किसी उच्च घराने से संबंध रखता है | की एक साथ रहना पडता था | सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाता था | गुरुकुल के चलने के लिए सभी के सभी को भिक्षा मंगनी पड़ती थी | जिसमे इनमे विनम्रता विधार्थी के रूप में उनकी सहायता करने के लिए समाज के प्रति कृतज्ञता जैसे गुणों का विकाश होता था | इससे जाती परम्परा को कम करने में सहायता मिलती थी | क्युंकी गुरुकुल के सभी विधार्थी को समान समझा जाता था | गुरु रुरुकुल का मुखिया होता है | जो सभी विधार्थियों के लिए पिता समान , माता – पिता या संरक्षक के समान व्यवहार करता था | वह विधार्थियों को उनसे बिना किसी अपेक्षा के शिक्षा प्रदान करता था | गुरु के लिए शुल्क लेना वर्जित था | विधादन इसकी दृष्टी में सर्वोतम दान समझा जाता था | और दान को बेचने का विचार निदंदानीय समझा जाता था | गुरुकुल को चलने के लिए राजाओ परोपकारी व्यक्ति तथा समाज के धनाध्य वर्ग दान देते थे | गुरु दक्षिणा के फलस्वरूप भी सहायता मिल जाती थी | जो विधार्थी शिक्षा के अंत में विद्यालय छोड़ते थे उस समय अपनी श्रधा से सहायता करते थे | इतना कुछ गुरुकुल चलने के लिए प्रयाप्त समझा जाता था | क्युंकी गुरुकुल में प्रत्येक व्यक्ति संयम तथा तप का जीवन व्यतीत करता था | तथा उन्हें धन संग्रह का अनुमति नहीं था | गुरु के रूप केवल उसी व्यक्ति के पहचान नियुक्ति तथा आदर होता था | जो वास्तव में एक विद्वान एक उत्कृष्ट विशेषग्य तथा आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध व्यक्ति समझा जाता था | गुरु को उसकी स्वस्थ रहित सेवा के लिए समाज में ऊँचा स्थान दिया जाता था | यहाँ तक की राजा की गुरु का समान करते थे | गुरु को माता पिता से बढ़कर माना जाता था | तथा गुरु का दर्जा देवताओ से भी बढ़कर था |
गुरु के ह्रदय मस्तिक अध्यातिम्कता , ज्ञान तथा विध्द्ता के अच्छे गुणों का प्रति समझा जाता था |एक अच्छा गुरु अपने जीवन के अंतिम गुणों तक एक विधार्थी होता था | उस समय गुरु अपने आप में एक सम्पूर्ण संस्था होते थे | जो की अपनी विध्द्ता तथा बलिदान के लिए जाने जाते थे | इस तरह हम देखते है की प्राचीन गुरुओ की बहुत साडी विशेषताए होती थी | एक साथ कई दायित्वों का निर्वाह करते थे | जहाँ तक एक शिक्षक को इन सभी विशेषताए होना आवश्यक है | कहते है शिक्षित व्यक्ति ही एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है | और देश के भविष्य को विकाश के पथ पर आगे ले जा सकता है | और ऐसा तभी होगा जब एक शिक्षक व्यक्ति को शिक्षित कर उसमे नैतिक और चारित्रिक गुणों का सहित समग्र प्रतिभावो को विकसित कर सकता है | जिसे व्यक्ति एक स्वस्थ समाज और देश के सुंदर भविष्य के निर्माण करने में योगदान दे सकता है |
इसी तरह मै प्राचीन गुरु के इन सारी विशेषताओ को अपनाना चाहूँगा |

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Deled course 501 Assignment 1 question 1 with answer in hindi

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104 thoughts on “Deled course 501 Assignment 1 question 1 with answer in hindi”

  1. जसवंतपुरा ब्लॉक जिला जालौर राजस्थान में स्टडी सेंटर कितने हैं।सूची जारी करे सरजी

  2. sir…kuch teachers ne novembr me jab 7 days ke liye portal pe regstration start hue the tab karaya tha unki fees bhi sumit ho chuki hai….unka refrence number bhi aya…but vo abhi tak open nahi ho rahe….vo kaise participate kar payege….

  3. sir first d.el.ed. first semester me total kitne paper hone hai
    time table me to 501,502,503,504,505,506,507,508,
    sabhi ke liye date di hui hai
    please sir is bare me confirm kijiye ki hame first semester me kul kitne paper hone hai

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