Bridge course 521 (PDPET) Assignment 1 प्रारंभिक शिक्षा के लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान हैं ? क्या आप सोचते है की आज के शिक्षा में इनका उपयोग किया जा रहा है ?
इस पोस्ट में bridge course 521 के असाइनमेंट 1 का पहले प्रश्न का उत्तर लाया हूँ जिसे आप असाइनमेंट कॉपी में लिख सकते है |
Bridge course 521 (PDPET) Assignment 1 Question 1 with Answer
Q.) प्रारंभिक शिक्षा के लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान हैं ? क्या आप सोचते है की आज के शिक्षा में इनका उपयोग किया जा रहा है ?
उत्तर :- प्राचीन भारत का केवल भारत ही नहीं अपितु समूचे विश्व के लिए सर्वोतम योगदान , शिक्षा के क्षेत्र में रहा है | यह भी ध्यान रखना चाहिए की शिक्षा एक अमूर्त अवधारणा है जो सांस्कृतिक आर्थिक व्यक्तिगत , दार्शनिक , व्यज्ञानिक , सामाजिक एवं आत्मिक विकास में निहित है | दुसरे शब्दों में व्यक्ति एवं समाज के लिए मानसिक एवं बौधिक विकास आवश्यक है | जो शिक्षा द्वारा ही संभव है | प्राचीन समय से ही भारत का अधिगम एवं शिक्षा के क्षेत्र में सुनहरा अतीत रहा है |
शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान में निम्न लिखित प्रावधान है |
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1). नि: शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा
“ इस संविधान के लागु होने के १० वर्षो के भीतर राज्य सभी बी बच्चो के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवाने की निरंतर प्रयास करेगा |जब तक कोई 14 वर्ष के नाम हो जाए अनुच्छेद 45 में सार्वभौमिक निशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हैं
2). अल्पसंख्यकों की शिक्षा
भारतीय संविधान का अनुच्छेद थानों की स्थापना एवं प्रशासन से संबंधित अधिकार से हैं धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी इच्छा अनुसार शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने उनका प्रशासन करने का अधिकार है तथा राज शिक्षण संस्थानों के साथ या धर्म के आधार पर अनुदान देने में कोई भेदभाव नहीं करेगा
3). कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा
संविधान के अनुच्छेद 15 17 तथा 46 कमजोर वर्गों की शैक्षिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़ी हुए वर्गों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगो को शैक्षिक विकास के लिए विषेशज प्रावधान करेगा | संविधान के अनुच्छेद ४६ के अनुसार यह केंद्र अनुसूचित जाति या जनजाति के आर्थिक या शैक्षिक विकास के लिए उत्तरदायी होगा | तथा उन्हें सामाजिक अन्याय तथा विभिन्न प्रकार के शोषण सुरक्षा प्रदान करेगा |
4). धर्म निरपेक्ष शिक्षा
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है | यह एक ऐसा देश है धर्म आधारित अत्याध्मिकता को बहुत उच्च स्थान दिया जाता है | संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार सभी नागरिको को अपने धर्म को मानने तथा फ़ैलाने का अधिकार है | अनुच्छेद 28 के अनुसार राज्य द्वारा अनुदान प्राप्त किसी भी संस्थान में धार्मिक अनुदान नही प्राप्त की जा सकती है | इसके अतरिक्त धार्मिक शिक्षा से संबंधित विभिन्न प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 28 में किये गए है |
5). मातृ भाषा में शिक्षण
हमारे देश में भाषाई विविधता है | सवतंत्रता के पश्चात् मातृ भाषा को शिक्षण माध्यम एवं विषय के रूप में काफी महत्व प्रदान किया गया | भारतीय संविधान अनुच्छेद ३५० के अनुसार भाषायी रूप से अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चो को प्राथमिक शिक्षा , उनकी मातृ भाषा में प्रदान करने के लिए प्रत्येक राज्य एवं स्थानीय प्रशासन उपयुक्त सुविधाए उपल्बध करवाने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे |
आज के शिक्षा के प्रारंभिक शिक्षा का उपयोग
- जैसा की हम देखते है हमारे देश में आज भी नि: शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है | हमारे देश मे अमीर और गरीब दोनों लोग रहते है | गरीब लोगो की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण वो देश के प्राइवेट विद्यालय में पढ़ा नही सकते इसीलिए सरकार ने नि : शुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया है | हमारे देश में आधा से अधिक लोग फ्री शिक्षा से पढाई करते है |
- जैसा की हम जानते है देश में सरकारी व प्राइवेट विद्यालय में गरीब या अमीर बच्चो को एक सामान शिक्षा दी जाति है क्यूंकि हमरा देश धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है | यहाँ पर किसी भी बी अच्छे के साथ भेदभव नही किया जाता है | कोई भी व्यक्ति किसी भी विद्यालय में पढाई कर सकता है |
- कोई भी भाषा जानने से पहले मातृभाषा को जानना जरुरी होता है | देश में अंग्रेजी विद्यालय होने के बाद भी सरकार ने मातृ भाषा का पढाई करवाती है |
- सवतंत्रता के पश्चात , भारत ने प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिक लक्ष के तरफ काफी प्रगति की है | इस संबंध में संविधानिक संशोधन की गयी है | सभी प्राथमिक विद्यालयों में प्रांगन के अनुसार दो कक्षा – कक्ष उपलबद्ध करवाना जो हर मौसम में उपयोग किया जा सके |
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