Bridge Course 521 ASSIGNMENT 2 क्वेश्चन 1 का उत्तर

Bridge Course 521 Assignment 2 Question 1 With Answer वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में शिक्षको की उभरती हुई भूमिका क्या है ? कक्षा – कक्ष में गुणवता सुनिश्चित करने के लिए आप क्या करेंगे ? उदाह्रानो सहित चर्चा कीजिये |

इस पोस्ट में कोर्स 521 Assignment 2 का उत्तर लाया हूँ इसे आप असाइनमेंट कॉपी में लिख सकते है | इस प्रश्न का उत्तर pdpet course के गाइड के अनुसार लिखा हूँ | अगर गलतियाँ दिखे तो सुधार या बदलाव कर सकते हो ||

Bridge Course 521 Assignment 2 Question 1 With Answer

521 Assignment

Q.) वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में शिक्षको की उभरती हुई भूमिका क्या है ? कक्षा – कक्ष में गुणवता सुनिश्चित करने के लिए आप क्या करेंगे ? उदाह्रानो सहित चर्चा कीजिये |

उत्तर :- प्राचीन समय में अध्यापक को  गुरु के नाम से संबोधित किया जाता है | भारत में गुरु शब्द शिक्षक के सामान्य अर्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है | संस्कृत से उतपन्न भाषाओँ जैसे हिंदी , बंगाली , गुजराती मराठी , तमिल मलयालम इत्यादि |

विधव सदय परिवर्तन के स्थिति में रहता है | अत : एक अध्यापक के लिए महत्वपूर्ण है की वह सामाजिक आवश्यकताओं के नुरूप अपनी शिक्षण विधियों को निरंतर बदलता रहे | और उनमे नयापन लाता रहे ताकि शिक्षण प्रयासों को अधिकतम सफल बनाया जा सके | शिक्षण विधियों को उपयुक्त बनाने एवं छात्रो का सही मूल्यांकन करने में प्रौधोगिकी शिक्षक की बहुत सहायता कर सकती है |

अध्यापक की सर्वप्रथम एवं महत्वपूर्ण भूमिका

  • ज्ञान का निर्माण करने में सहायता देना |
  • विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण करना |
  • किसी कार्य को करने में मदद करनेवाला |
  • प्रबंधक
  • शोधकर्ता
  • नेता
  • विचारशील एवं कार्यशील

आध्हुनिक शिक्षक एक अच्छा परामर्शदाता या सलाहकार भी होना चाहिए | शिक्षक का कर्तव्य केवल शैक्षणिक पक्ष को पूरा करने तक सिमित नही है बल्कि छात्रों तथा समाज के लिए एक परामर्शदाता के भूमिका को निभाता है | वह एक विशेषग्य तथा ज्ञान का भंडार माना  जाता है | लोग उसे सही सलाह देनेवाले व्यक्ति और मार्गदर्शक के रूप में देखते है |

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अध्यापक – एक सहायक एवं सम्भावकर्ता

आप एक व्यक्ति को कुछ भी नही सिखा सकते बल्कि आप उसे अपने आप पहचानने और समझने में मदद कर सकते है | “ अध्यापक केवल ज्ञान का स्त्रोत ही नही बल्कि एक अनुदेशक सहायक भी है | यदि अध्यापन एक व्यवसाय है | तो अध्यापक की भूमिका एक अनुदेशक एवं सहायक की है |

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विभिन्न विन्दुओ पर चर्चा करने के लिए एक अध्यापक को उसके छात्रो को अभिप्रेरित तथा प्रोत्साहित करना चाहिए | शिक्षक को विद्यार्थ्यो के साथ विषय वास्तु के बारे में विचार विमर्श कर अधिगम प्रक्रिया को रुचिपूर्ण बनाना होता है | प्रयोगशाला कार्य , शैक्षणिक भ्रमण , विचार – विमर्श , सेमिनार आदि विधियों तथा तरीको का उपयोग अध्यापक एवं छात्रो के मध्य अच्छे संबंध तथा उपयोगी अंतक्रिया विकसित करने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए | अधिगम संशाधन सामग्री की बढती हुई उपयोगिता की सुबिधा के कारण शिक्षक के भूमिका में काफी बदलाव आये है |

शिक्षक की बदलती हुई भूमिका अधिगम की रचनावादी दृष्टिकोण में परिलक्षित होती है | जिसमे की ज्ञान की लगातार छात्रो द्वारा निर्मित किया जाता है | आधुनिक शैक्षणिक समुदाय में जाँच आधारित अधिगम के लिए छात्र केन्द्रित रचनावाद की शुरुआत की है | इस धरना के साथ छात्रो को कक्षा में शिक्षण अधिगम गतिविधियों को सही ढंग से चलने के लिए मुख्य केंद्र बना दिया गया है | इस रचनावादी दृष्टिकोण के अंतर्गत छत्र शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाता है तथा शिक्षक निम्नलिखित के आधार पर कक्षाएं लेते है |

  • प्रयोग तथा कृतिम परिस्थितियों द्वारा अभ्यास
  • नाटक
  • प्रयोजना कार्य
  • समूह कार्य
  • विचार – विमर्श – चर्चा
  • समस्या आधारित अधिगम
  • प्रोधिगिकी का उपयोग

एक शोधकर्ता के रूप में शिक्षक

क्रियात्मक अनुसन्धान , अनुप्रयुक्त अनुसन्धान , का एक रूप है | क्रियात्मक अनुसन्धान द्वारा शिक्षक समस्या के जाँच एवं समाधान कर सकते है | इसे एक रुचिकर क्षेत्र के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है | जो की दैनिक अध्यापन के लिए फायदेमंद सिद्ध होगा | यह व्यावसायिक विकास की एक योजनाबद्ध तथा व्यव्स्थापूर्ण प्रक्रिया में सम्मलित होने के लिए आधार तथा संरचना प्रदान करता है | एक आधुनिक शिक्षक को प्रभावशाली अधिगम वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिदिन शिक्षण के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ता है |

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अध्यापन एक ऐसा व्यवसाय है |जिसमे सैधांतिक ज्ञान एवं अनुसन्धान आधारित विधियों तथा कार्यपरनालियो का उपयोग किया जाता है | यदि एक अध्यापक व्यावसायिक रूप से प्रभावी बनाना चाहता हो तो उसे क्रियात्मक अनुसन्धान करना चाहिए | तथा उसके विद्यार्थी आत्म निर्भर बन सके | अगर एक अध्यापक को लगता है की उसकी कक्षा में विद्यार्थी अंग्रेजी पढने तथा उस के उच्चारण , सहज प्रवाह में सही नही है तो उसे क्रियात्मक अनुसन्धान के माध्यम से उसकी कमजोर पठन – कौशल के कारणों को जानने का प्रयास करना चाहिए |

क्रियात्मक अनुसन्धान में निम्नलिखित प्रक्रियाये शामिल है |

1). मुख्य क्षेत्र का चयन

मुख्य क्षेत्र पाठ्यक्रम , अध्यापन योजना , विद्यालय वातावरण , अध्यापक की सहभागिता , विद्यार्थियों की प्रगति , उपस्थिति तथा व्यवहार इत्यादि से संबंधित हो सकता है |

2.) तथ्यों का एकत्रीकरण
यह चयनित क्षेत्रो से संबंधित कार्यो पर आधारित होगा जो साक्षात्कार , सर्वेक्षण , प्रश्न – प्रपत्रों अवलोकन इत्यादि के रूप में हो सकता है |

3.) तथ्यों का विश्लेषण तथा समझ

तथ्यों को एकत्रित करने के पश्चात् उसके विश्लेषण तथा पूर्णरूप से समझने की जरुरत है |

4.) कार्यवाही करना

तथ्यों के विश्लेषण एवं समझ के आधार पर नविन क्रियाये की जाती है | अध्यापक द्वारा किये गए क्रियात्मक अनुसंधान के लिम्न्लिखित परिणाम हो सकते है |

  • व्यावसायिक विकास
  • शैक्षणिक परिवर्तन
  • व्यक्तित्व में निखर
  • क्रियाकलापों एवं गतिविधियों में सुधार
  • नविन अधिगम

अध्यापक नेता के रूप में

एक अध्यापक के भूमिका कक्षा में एक नेता की तरह होती है | जब वे सवेक्ष से एवं पूर्णत प्रभावशाली ढंग से शिक्षण क्रियानिवत करते है | एक अध्यापक कार्यप्रणाली का अवलोकन तथा गतिविधियों का सफल नियोजन एवं आयोजन करता है |

  • नेता की रूप में अध्यापक की भूमिका
  • अपने विद्यालय के प्रारूप को आकर प्रदान करना |
  • विद्यार्थियों के अधिगम क्षमता को बेहतर करना |
  • सभी अध्यापको में प्रभावी शिक्षण पद्दतियो को विकसित करना |

एक नेतृत्व अध्यापक के गुण एवं कौशल

  • अध्यापन के लिए जूनून एवं जोंश
  • संप्रेषण कुशलता एवं घनिष्ट
  • लचीलापन एवं शहनशीलता
  • समर्पित
  • आत्मविश्वास में परिपूर्ण
  • भावनात्मक बुद्धिमता
  • प्रक्षिक्षण कुशलता
  • शिक्षक दक्षता
  • संबंध स्थापित करने का कौशल
  • विषयवस्तु में दक्षता

सहभागी शासन

सहभागी शासन ऐसे क्रियकलाप है जिसमे शिक्षक और प्रबंधक आपस में एक साथ संस्थान के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते  है | इससे शिक्षको में विद्यालय के प्रति स्वामित्व की भावना पैदा होती है | इससे वे अपने कौशल विकसित करने हेतु कड़ी म्हणत करने के लिए प्रेरित होते है क्यूंकि वे जानते है उन्हें भी निर्णय लेने की प्रक्रिया  में शामिल किया जाता है |

एक चिन्तनशील पेशेवर के रूप में शिक्षक

चिंतनशील शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे अध्यापक अपनी शिक्षक पद्दति पर विचार करता है तथा पढाई गई विषयवस्तु का विश्लेषण करता है ताकि उसमे सुधार कर अधिगम को बेहतर बना सके | यह एक निरंतर चलनेवाले प्रक्रिया है क्यूंकि आप एक बार शिक्षण  में बदलाव करना शुरू करते है तो चिंतन करने और मूल्यांकन करने का चक्र निरंतर चलता रहता है |

चिन्ताशील शिक्षण प्रक्रिया में निम्नलिखित बातें शामिल है |

  • आप अध्यापक के रूप में क्या कर रहे है |
  • आप ऐसा क्यूँ कर रहे है |
  • यह कितना प्रभावशाली है |
  • आप इसे बेहतर कैसे कर सकते है |

प्रत्येक अध्यापक का यह व्यावसायिक उत्तरदायित्व है की वह अपने कार्य में चिंतनशील एवं मूल्यांकन करनेवाली सोंच रखता हो |

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