प्रकाश पर्व: रोशनी और उत्सव का त्योहार

Last updated on May 1st, 2022 at 02:33 pm

What Is Prakash Parv Introduction: प्रकाश पर्व भारतीय उपमहाद्वीप के अनेक संस्कृति-संस्कारों में से एक है | यह त्योहार (Prakash Parv) रोशनी, उत्साह और प्रेम की भावना का प्रतीक है | प्रकाश पर्व के अवसर पर लोग धूप, दीप, दिये, चांदनी, फूल, रंगों और प्रकाश की बग़ावत से घरों और सड़कों को सजाते हैं |

आइये इस लेख में, हम प्रकाश पर्व (Prakash Parv News) के विभिन्न पहलुओं को जानेंगे और इस उत्सव के महत्व को समझेंगे | इस लेख में सूर्य देव की पूजा कैसे होती है के बारे में भी बतायी गयी है |

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आज के समय में प्रकाश पर्व

प्रकाश पर्व बिहार के पटना में धूमधाम से मनाया जाता है । इस पर्व को बहुत महत्व दिए जाते है । आइये जानते है प्रकाश पर्व क्या है । प्रकाश पर्व परिचय सिखो के दशम गुरु श्री गोबिंद सिंह महराज का 350 वां जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है । इस साल भी गुरु द्वारा श्री हेमकुंड साहिब पटना में धूमधाम से मनाया जायेगा । 

गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 ई. में बिहार के पटना में हुआ था । जो की सीखो के दसवे और अंतिम गुरु बने । जिसके कारण दसवे सिख गुरु सिख सेना के संस्थापक एवं प्रथम सेनापति कहलाये । 

इनके पूर्वाधिकारी तेगबहादुर व् उत्तराधिकारी गुरु ग्रन्थ साहिब बने । 

गुरु गोबिंद सिंह के तिन पत्नियां और तिन बच्चे थे । 

 10 साल के उम्र में गुरु गोबिंद सिंह ने 21 जून 1677 में माता जीतो के साथ विवाह आनंदपुर से 10 किलोमीटर दूर बसंतगढ़ में विवाह किया गया । 
गुरु गोबिंद सिंह ने 17 साल की उम्र में 4 अप्रैल 1684 में माता सुंदरी के साथ आनंदपुर में विवाह किये । माता सुंदरी से एक पुत्र का जन्म हुआ जिनका नाम अजित सिंह है ।
33 साल के उम्र में गुरु गोबिंद सिंह ने 15 अप्रैल 1700 ई में साहिब देवांन से विवाह हुआ । इनकी कोई संतान नही था ।


इतिहास का महत्वपूर्ण टॉपिक्स

इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण घटना खालसा पंथ को माना जाता है । 
गुरु गोबिंद सिंह के कृतियों के संकलन का नाम दशम ग्रन्थ है।
मुग़ल और उनके सहयोगियों के साथ 14 बार युद्ध लाडे । 
1685 ई. में सिरमौर के राजा मत प्रकाश के निमांतरण पर सिरमौर राज्य के गजट के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह ने राजा भीम चंद्र के साथ मतभेद करके गुरूजी को आनंद पुर साहिब छोड़ने पर मजबूर किया गया ।

रचना

शास्त्र नाम माला – अस्त्र शास्त्र के रूप में गुरमत वर्णन किया गया ।

जाप साहिब – एक निरंकार के गुड़वाचक नमो का संकलन ।

बचित्र नाटक – गुरु गोबिंद सिंह के सवाई जीवनी और आतिमक वंशावली से वर्णित रचना है ।

जफर माला -चिठ्ठी औरंगजेब बादशाह के नाम ।

प्रकाश पर्व की उत्पत्ति कब हुई?

धार्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्योहार, प्रकाश पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है | यह हिंदू परंपरा में रौशनी का संदेश देता है और आत्मज्योति का प्रतीक है |

इस पर्व को विभिन्न रूपों में भारतवर्ष के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है और इसकी महत्वपूर्ण तारीखों में मकर संक्रांति, करवा चौथ, दिवाली, छठ पूजा, और पोंगल शामिल होते हैं | इसमें कई नियमो को पालन भी करना होता है |

Prakash Purab Of Guru Tegh Bahadur

1. दिवाली: रौशनी का उत्सव है दिवाली

दिवाली भारत में सबसे बड़ा और धूमधाम से मनाया जाने वाला प्रकाश पर्व है | यह पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है जिसमें लोग घरों और बाज़ारों को दीपों और बत्तीसियों से सजाते हैं |

धर्मिक मायने में इसे भगवान राम के अयोध्या वापसी पर्व के रूप में मनाया जाता है | दिवाली एक परिवारिक उत्सव है जिसमें रंग-बिरंगे फूलझड़ी, चकरी, मिठाई, और उत्सवी भोजन शामिल होता है |

वहां के लिए भगवन राम को ज्यादा चाहते थे, वहां के राज्य के निवासी राम को ही राजा बनते हुए देखना चाहते थे इसलिए रामजी को अयोध्या आने के बाद सभी ने प्रकाश फैलाकर उत्सव मनाया |

2. छठ पूजा: सूर्य देव की पूजा

छठ पूजा उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रकाश पर्व है जिसमें मूर्तिमां सूर्य की पूजा की जाती है | यह उत्तरी बिहार, झारखंड, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खूब धूमधाम से मनाया जाता है |

छठ पूजा के दौरान घाटों के किनारे सूर्योदय और सूर्यास्त की पूजा की जाती है और व्रती लोग सड़कों पर श्रद्धा भाव से प्रदर्शन करते हैं |

प्रकाश पर्व का महत्व

आत्मज्योति की प्रतीकता: प्रकाश पर्व आत्मज्योति को प्रकट करने का एक महान उत्सव है | इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाकर अपनी आत्मा को प्रकाशित करते हैं और अंधकार से परम प्रकाश की ओर बढ़ते हैं |

यह त्योहार सारे देश में खुशियों का आयोजन करता है और सभी को एक साथ मिलकर उत्साहित होते है |

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